देहरादून। उत्तराखंड शासन में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी की जा रही है। हरिद्वार में भूमि खरीद-फरोख्त से जुड़े गंभीर आरोपों में घिरे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों के भाग्य का फैसला अब आगामी 2 जनवरी को होगा। शासन स्तर पर इस मामले की उच्च स्तरीय समीक्षा की जा रही है और माना जा रहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
क्या है पूरा मामला?
हरिद्वार जनपद में भूमि अधिग्रहण और खरीद प्रक्रिया में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप सामने आए हैं। शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि नियमों को ताक पर रखकर कुछ खास निजी संस्थाओं और व्यक्तियों को लाभ पहुँचाया गया। इस प्रकरण में कई वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव स्तर से पैनी नजर रखी जा रही है।
जांच और प्रक्रिया की मुख्य बातें
- गंभीर वित्तीय अनियमितताएं: प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, भूमि की श्रेणी बदलने और मुआवजे के वितरण में मानकों का उल्लंघन किया गया है।
- 2 जनवरी की बैठक: सचिवालय में 2 जनवरी को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में जांच समिति द्वारा सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट पर चर्चा होगी। इसी दिन तय किया जाएगा कि संबंधित IAS अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा या उनके विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश दिए जाएंगे।
- प्रशासनिक सतर्कता: मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस और अन्य जांच एजेंसियां भी साक्ष्य जुटाने में लगी हैं ताकि न्यायालय में भी पक्ष मजबूत रहे।
जीरो टॉलरेंस नीति की परीक्षा
उत्तराखंड सरकार लगातार पारदर्शी प्रशासन का दावा करती रही है। ऐसे में वरिष्ठ IAS अधिकारियों पर लगे इन आरोपों ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है, जिससे 2 जनवरी को होने वाले निर्णय पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
संभावित कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, यदि आरोप प्रथम दृष्टया सिद्ध पाए जाते हैं, तो अधिकारियों को सेवा से निलंबित कर मुख्यालय से संबद्ध किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इस घोटाले में शामिल अन्य कर्मचारियों और भू-माफियाओं के खिलाफ भी कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है।





