अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। अपने हालिया संबोधन में ट्रंप ने घोषणा की कि यदि उनकी नीतिगत सिफारिशें स्वीकार की गईं, तो अगले वर्ष होने वाले G20 शिखर सम्मेलन से दक्षिण अफ्रीका को बाहर कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली सभी सब्सिडी और वित्तीय सहायता को तुरंत बंद कर देगा।
ट्रंप ने आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका “अमेरिकी हितों के खिलाफ खड़ा होने वाले देशों के साथ नजदीकी बढ़ा रहा है” और यह अमेरिकी करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को ऐसे देशों पर संसाधन खर्च नहीं करने चाहिए, जो उसकी नीतियों और वैश्विक प्राथमिकताओं से मेल नहीं खाते। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका “गैर-जरूरी खर्चों पर रोक लगाकर अपनी वैश्विक भूमिका को पुनर्परिभाषित” कर सकता है।
उनके इस बयान ने वैश्विक मंचों पर हलचल मचा दी है। दक्षिण अफ्रीकी अधिकारियों ने ट्रंप की टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि G20 बहुपक्षीय सहयोग का समूह है और किसी भी सदस्य को बाहर करने का अधिकार किसी एक देश को नहीं है। दक्षिण अफ्रीका ने कहा कि ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की भावना के विपरीत हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह घोषणा राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वे अंतरराष्ट्रीय सहायता पर सख्त रुख अपनाकर अपने समर्थकों के बीच लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं। उनकी टिप्पणी ने अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका संबंधों में तनाव की संभावना को भी बढ़ा दिया है।
G20 शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक नीतियों और सहयोग के लिए एक अहम मंच है। ऐसे में किसी सदस्य देश को बाहर करने का मुद्दा न केवल राजनीतिक विवाद खड़ा करेगा बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन पर भी असर डाल सकता है।
ट्रंप के बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी अंतरराष्ट्रीय नीति का दृष्टिकोण अभी भी टकरावपूर्ण और राष्ट्रीय हितों पर केंद्रित है—और यदि उनकी सिफारिशें आगे बढ़ती हैं, तो वैश्विक मंचों पर व्यापक भू-राजनीतिक खिंचाव देखने को मिल सकता है।





