Tuesday, December 23, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री का कड़ा रुख: भारत के साथ FTA को बताया ‘बुरा सौदा’, संसद में करेंगे विरोध

वेलिंगटन/नई दिल्ली: न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने भारत के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की आलोचना करते हुए इसे अपने देश के लिए एक “नुकसानदेह सौदा” करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वर्तमान शर्तों के तहत यह समझौता न्यूजीलैंड के हितों के अनुरूप नहीं है और वे संसद में इसके खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं।

विवाद का मुख्य कारण: डेयरी सेक्टर और टैरिफ

न्यूजीलैंड और भारत के बीच व्यापारिक वार्ता लंबे समय से जारी है, लेकिन कुछ बुनियादी मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही है।

  • डेयरी उत्पादों पर अड़चन: न्यूजीलैंड दुनिया का बड़ा डेयरी निर्यातक है और चाहता है कि भारत उसके दूध, पनीर और मक्खन जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क (Import Duty) कम करे।
  • भारत का रुख: भारत अपने करोड़ों छोटे डेयरी किसानों के हितों की रक्षा के लिए इस सेक्टर को पूरी तरह खोलने के पक्ष में नहीं है।
  • विदेश मंत्री की आपत्ति: विंस्टन पीटर्स का तर्क है कि यदि हमारे मुख्य उत्पाद (डेयरी) को ही भारतीय बाजार में उचित पहुंच नहीं मिलती, तो इस व्यापक समझौते का न्यूजीलैंड के लिए कोई खास मूल्य नहीं रह जाता।

संसद में विरोध की तैयारी

न्यूजीलैंड की गठबंधन सरकार के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद नजर आ रहे हैं।

  • संसदीय गतिरोध: विदेश मंत्री ने संकेत दिया है कि वे इस समझौते को उसी रूप में स्वीकार नहीं करेंगे जैसा इसे पेश किया जा रहा है। उन्होंने आगामी संसदीय सत्र में इस पर बहस और विरोध की रूपरेखा तैयार कर ली है।
  • गठबंधन पर असर: चूंकि पीटर्स की पार्टी ‘न्यूजीलैंड फर्स्ट’ सरकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए उनके विरोध से प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जो भारत के साथ व्यापारिक संबंध सुधारने के बड़े पक्षधर रहे हैं।

भारत के लिए इसके क्या मायने हैं?

भारत इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और कई देशों के साथ FTA (जैसे ब्रिटेन, ओमान) पर बातचीत कर रहा है।

  1. रणनीतिक स्वायत्तता: भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी देश के साथ समझौता करते समय अपने घरेलू कृषि और डेयरी सेक्टर की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
  2. सप्लाई चेन: भारत के लिए न्यूजीलैंड तकनीकी और शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार है, लेकिन व्यापारिक असंतुलन हमेशा एक बड़ी चुनौती रहा है।

भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि विदेश मंत्री का यह बयान बातचीत में ‘दबाव बनाने की एक रणनीति’ (Pressure Tactic) भी हो सकता है। हालांकि, कूटनीतिक स्तर पर इस बयान से वार्ता की गति धीमी होने की आशंका है। अब सबकी नजरें न्यूजीलैंड की संसद पर टिकी हैं कि वहां सरकार और विपक्ष इस “सौदे” को किस दिशा में ले जाते हैं।

Popular Articles