चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले शीर्ष 5 दानदाताओं में 3 ऐसे हैं, जिन्हें ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसी के छापों के बाद करीब 4,000 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। कुछ कंपनियों ने काम मिलने से पहले चुनावी बॉन्ड खरीदे। आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद भाजपा में शामिल हुए थे टीडीपी सांसद सीएम रमेश 123 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदार 15वीं बड़ी दानदाता कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर के खिलाफ 2019 में कोयला खदान घोटाले व बाद में 2022 में विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की गई। कंपनी ने इसी दौरान चुनावी बॉन्ड की खरीदारी की थी। इसके अलावा टीडीपी के सांसद सीएम रमेश की कंपनी रितिक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अक्तूबर 2018 में आयकर विभाग ने कार्रवाई की। इसके कुछ महीने बाद ही रमेश भाजपा में शामिल हो गए और उन्होंने 45 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। दिल्ली शराब घोटाले को लेकर चर्चा में आए पी शरत रेड्डी ने कुल 49 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे। शीर्ष दानदाता फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ 2016 से ही ईडी की कार्रवाई जारी है और 2019 से 2024 के बीच अलग-अलग मौकों पर फ्यूचर गेमिंग ने 1386 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। इसी तरह 1000 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदार दूसरी बड़ी दानदाता मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्टचर लिमिटेड (एमईआईएल) के खिलाफ अक्तूबर 2019 में आयकर विभाग ने रेड डाली, जिसके बाद ईडी ने भी कार्रवाई शुरू की थी। बाद में एमईआईएल ने अप्रैल 2020 में 50 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे और 2024 तक यह सिलसिला चलता रहा। एमईआईएल को मई 2023 में महाराष्ट्र में ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिला, इसके कुछ दिन पहले अप्रैल 2023 में इसने 140 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। 376 करोड़ का चंदा देने वाली पांचवीं सबसे बड़ी दानदाता वेदांता के खिलाफ जून 2018 में ईडी ने दावा किया था कि इसके खिलाफ नियमों का उल्लंघन कर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने के मामले में पुख्ता सबूत हैं।



 
                                    