वाशिंगटन डी.सी. में ट्रंप ने फिर उठाया 2020 चुनाव में धांधली का मुद्दा, DOJ से तत्काल जांच की मांग
वाशिंगटन डी.सी.। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक बार फिर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में गड़बड़ी के अपने पुराने दावे को दोहराया। उन्होंने कहा कि यह “अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा स्कैंडल” है और इस पर यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) को तत्काल जांच शुरू करनी चाहिए।
ट्रंप ने आरोप लगाया कि डाक द्वारा मतदान (Mail-in Voting) और समय से पहले चुनावी प्रक्रिया में किए गए बदलावों ने धांधली को संभव बनाया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि चुनाव में हुई हेराफेरी ने “देश की इच्छा का गला घोंट दिया” और अमेरिकी लोकतंत्र को गहरा आघात पहुँचाया है।
उन्होंने चुनावी सुधारों की मांग करते हुए कहा कि “No mail-in or ‘Early’ Voting, Yes to Voter ID!” जैसे नियम लागू किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने। ट्रंप ने इस कथित घोटाले की तुलना NBA गैंबलिंग स्कैंडल से करते हुए इसे “उससे भी बड़ा घोटाला” बताया।
प्रतिक्रिया और पृष्ठभूमि
अब तक न्याय विभाग (DOJ) ने इस मामले में किसी व्यापक जांच की घोषणा नहीं की है। 2020 के चुनाव से जुड़े विभिन्न अदालतों के आदेशों और ऑडिट्स में अब तक धांधली का कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया है।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के ये दावे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हो सकते हैं, लेकिन इनका कानूनी आधार कमजोर है, क्योंकि कई संघीय एजेंसियों और राज्यों ने 2020 के चुनाव को “अमेरिकी इतिहास का सबसे सुरक्षित चुनाव” करार दिया था।
साथ ही, ट्रंप के प्रशासन में बदलाव के बाद न्याय विभाग की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि विभाग अब ट्रंप की राजनीतिक प्राथमिकताओं से प्रभावित दिख रहा है।
आगे की संभावनाएँ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि DOJ ट्रंप की मांग पर विशेष जांचकर्ता (Special Prosecutor) नियुक्त करता है, तो यह मामला राजनीतिक और न्यायिक दोनों मोर्चों पर बड़ा विवाद बन सकता है।
इसके साथ ही, ट्रंप के इस बयान से चुनावी सुधारों की बहस दोबारा तेज हो सकती है — जैसे मतदान पंजीकरण की समीक्षा, डाक मतदान पर नियंत्रण और वोटर पहचान पत्र (Voter ID) को अनिवार्य बनाना।
विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यह विवाद अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और गहरा कर सकता है, क्योंकि यह मुद्दा सीधे-सीधे लोकतंत्र, चुनावी विश्वास और संस्थागत पारदर्शिता से जुड़ा है।





