युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के वरिष्ठ नेता बी राजेंद्रनाथ रेड्डी शनिवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू पर हमलावर दिखे। उन्होंने कहा कि नायडू 2025-26 के केंद्रीय बजट में राज्य का उचित हिस्सा दिलाने में ‘विफल’ रहे। उन्होंने सीएम नायडू पर आरोप लगाया कि वे केंद्र पर राज्य को अधिक लाभ दिलाने के लिए दबाव नहीं बना पाए, जबकि बिहार को ज्यादा फायदा मिला। रांजेंद्रनाथ रेड्डी ने कुरनूल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘चंद्रबाबू नायडू का बजट को लेकर एक्स पर पोस्ट बिहार की तुलना में सही नहीं है, जहां सांसदों की संख्या कम है। हालांकि, केंद्रीय बजट पहली बार 50 लाख करोड़ रुपये के पार गया है, लेकिन नायडू को यह बताना चाहिए कि 12 सांसदों वाले बिहार को अधिक छूट क्यों मिली, जबकि 16 सांसदों वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) पिछड़ गई।’ 2025-26 वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट में आंध्र प्रदेश को क्या मिला, इस सवाल के जवाब में रेड्डी ने कहा कि सीएम नायडू को इस पर कोई निराशा भी दिखाई नहीं दी। बिहार को कई परियोजनाओं जैसे मखाना बोर्ड, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए धन मिला, जबकि आंध्र प्रदेश के चार बंदरगाहों के विकास के लिए कोई धन आवंटित नहीं किया गया। पूर्व मंत्री रेड्डी ने कहा, ‘आपके समर्थन से केंद्र में सरकार बनी है, लेकिन आंध्र प्रदेश को क्या मिला? आप हमें नहीं बता रहे कि हमें क्या मिला और न ही कुछ न मिलने पर दुख जता रहे हैं।’
रेड्डी ने कहा कि टीडीपी को केंद्र से अधिक सहायता और परियोजनाओं के लिए दबाव बनाना चाहिए, क्योंकि वर्तमान सरकार के दौरान राज्य के सांसदों का समर्थन पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय बजट में पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी द्वारा पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान लागू की गई कुछ पहलों को दर्शाया गया है, जैसे टैबलेट वितरित करके शिक्षा को डिजिटल बनाना और मेडिकल कॉलेज बनाने पर जोर देना। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वर्तमान सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की पहल को आगे नहीं बढ़ाया, तो राज्य के कमजोर वर्ग मेडिकल सीटों से वंचित हो सकते हैं।
राजेंद्रनाथ रेड्डी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान जिन पहलों का विरोध टीडीपी ने किया, वे अब केंद्रीय बजट में शामिल हो गई हैं, जैसे शिक्षा, कृषि और चिकित्सा क्षेत्रों को प्राथमिकता देना। इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रति वर्ष 12 लाख रुपये तक शून्य आयकर का स्वागत किया।