नई दिल्ली।
सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बदलते युद्धक परिदृश्य और आधुनिक तकनीक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए देश का पहला ड्रोन युद्ध प्रशिक्षण स्कूल शुरू किया है। इस संस्थान की स्थापना का उद्देश्य सैनिकों को अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक, उसके संचालन और युद्धक रणनीतियों में दक्ष बनाना है, ताकि सीमा और संवेदनशील इलाकों में दुश्मन की हर गतिविधि पर सटीक नजर रखी जा सके।
आधुनिक तकनीक से होगा जवानों का प्रशिक्षण
इस स्कूल में BSF के जवानों को न सिर्फ ड्रोन उड़ाने और नियंत्रित करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा, बल्कि उन्हें निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने, बम निष्क्रिय करने और दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने की विशेष तकनीक भी सिखाई जाएगी। यहां पर अलग-अलग प्रकार के ड्रोन जैसे माइक्रो, मिनी और कॉम्बैट ड्रोन के उपयोग का अभ्यास कराया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में तैनाती
BSF के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इन प्रशिक्षित जवानों को भविष्य में ऑपरेशन सिंदूर जैसे हाई–रिस्क मिशनों में तैनात किया जाएगा। ऐसे अभियानों में तकनीकी बढ़त हासिल कर दुश्मन की नापाक साजिशों को समय रहते विफल करना आसान होगा।
सीमा पर बढ़ेगी निगरानी क्षमता
ड्रोन तकनीक की मदद से BSF को सीमावर्ती क्षेत्रों में होने वाली घुसपैठ, हथियारों की तस्करी और नशा कारोबार पर लगाम लगाने में बड़ी मदद मिलेगी। अधिकारी मानते हैं कि ड्रोन निगरानी से न केवल रियल–टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी, बल्कि दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
रक्षा रणनीति में अहम कदम
विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल BSF की रणनीतिक क्षमता को नई दिशा देगी। मौजूदा दौर में जहां युद्ध का स्वरूप तकनीकी होता जा रहा है, वहीं ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल सुरक्षा बलों को दुश्मनों पर बढ़त दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा।
भविष्य की योजनाएं
सूत्रों के मुताबिक, BSF आने वाले समय में इस ड्रोन युद्ध स्कूल का विस्तार करेगा और यहां से प्रशिक्षित सैनिक अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी ड्रोन ऑपरेशन की ट्रेनिंग देंगे। केंद्र सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना है।