Monday, June 30, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

BJP ने 26 साल बाद जीती दिल्ली

राष्ट्रीय राजधानी में 26 साल बाद भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। आम आदमी पार्टी (आप) का चौथी बार सरकार बनाने का सपना चकनाचूर हुआ है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और दूसरे नंबर के नेता मनीष सिसोदिया समेत कई दिग्गज चुनाव हार गए हैं। सीएम आतिशी भी बमुश्किल अपनी सीट बचा पाईं। कुछ बेहतर की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस की फिर दुर्गति हुई है और पार्टी का लगातार तीसरे चुनाव में खाता तक नहीं खुल पाया है। इसके साथ ही अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करिश्मा देखने को मिला। मिल्कीपुर उप चुनाव में सिपहसलारों की मदद से भाजपा को भारी मतों से जिताकर योगी ने कुशल संगठनकर्ता होना साबित किया है। लगातार तीन बार सरकार बना चुकी आम आदमी पार्टी यहां जीत का चौंका लगाने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरी थी, लेकिन भाजपा ने चौंकाते हुए उसे सत्ता में आने से रोक दिया। दिल्ली की 70 सीटों पर 5 फरवरी को मतदान हुआ था। 14 में से 12 एग्जिट पोल्स में भाजपा की सरकार बनाने का अनुमान जताया गया था, जो सही साबित हुआ। भाजपा ने 48 सीटें जीतीं, जो पिछली बार उसकी जीती हुईं सीटों से 40 ज्यादा है। वहीं, आम आदमी पार्टी को 40 सीटों का नुकसान हुआ और वह 22 पर थम गई। जिस पार्टी के लिए नतीजे नहीं बदले, वो है कांग्रेस। दिल्ली के लगातार तीसरे विधानसभा चुनाव में वह खाता नहीं खोल पाई। भाजपा ने मुखरता के साथ चुनाव लड़ा। शीशमहल, यमुना का पानी, शराब घोटाला और आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं को जेल जैसे मुद्दों पर पार्टी ने आम आदमी पार्टी को जमकर घेरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आप’ को ‘आपदा’ करार दिया। भाजपा ने मुफ्त की योजनाओं को भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया। यानी भाजपा ने आम आदमी पार्टी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब नतीजे सामने आए तो भाजपा को 45.56% वोट मिले, जो 2020 के 38.7% वोट से ज्यादा थे। सबसे ज्यादा चर्चा प्रवेश साहिब सिंह वर्मा की रही, जिन्होंने नई दिल्ली विधानसभा सीट से आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को हरा दिया। उनके खिलाफ कांग्रेस से संदीप दीक्षित भी मैदान में थे।

शराब घोटाला मामले में खुद केजरीवाल की गिरफ्तारी और जेल से आम आदमी पार्टी का नेतृत्व कमजोर हो गया। साथ ही शीशमहल और यमुना के पानी में जहर जैसे मुद्दों पर पार्टी घिर गई। पार्टी कुछ नेताओं के बगावती तेवरों को भी नहीं रोक सकी। नतीजा यह रहा कि केजरीवाल अपनी सीट नहीं बचा पाए। मनीष सिसोदिया इस बार पटपड़गंज की जगह जंगपुरा से मैदान में थे, लेकिन वे भी हार गए। सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, राखी बिड़लान पहली बार चुनाव लड़ रहे अवध ओझा को भी हार का सामना करना पड़ा। बड़े नेताओं में सिर्फ निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी और मंत्री गोपाल राय अपनी सीट बचा सके।

Popular Articles