राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद-370 को निरस्त करना एक सियासी फैसला था। उन्होंने कहा कि यह करने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि भारत के 99 फीसदी कानून पहले से ही जम्मू–कश्मीर में लागू थे। सिब्बल ने यह भी कहा कि जब तक चार जून को नतीजे अलग नहीं आ जाते, तब तक उन्हें नहीं लगता कि कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर अब भारत–पाकिस्तान का मुद्दा नहीं हैं, बल्कि हमारी सरकार और कश्मीर के लोगों के बीच का मुद्दा है। वह ए एस दुलत, असद दुर्रानी और नील के अग्रवाल की किताब ‘कोवर्ट: द साइकोलॉजी ऑफ वॉर एंड पीस‘ के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, 5 अगस्त, 2019 के बाद संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया। आपको (सरकार) इसको निरस्त करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि कश्मीर में भारत के 99 फीसदी कानून पहले से ही लागू थे। सिब्बल ने कहा, आप देश के लोगों से कहना चाहते हैं कि देखिए हमने यह किया। सिब्बल ने लेखकों से कहा कि कश्मीर की जनता पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है, यह अगली किताब में देखना होगा। उन्होंने कहा, कश्मीर के लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा, हम अब भी नहीं जानते। शायद समय बताएगा कि इसका क्या असर पड़ेगा।