दुनिय का एक मात्र ऐसा मंदिर जहाँ होते हैं हनुमान जी के 9 रूपों के दर्शन
नैनीताल जिले के रामनगर में स्थित हनुमान धाम दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहाँ पर भगवान हनुमान के 9 रूपों की आराधना की जाती है l इसके अलावा संकट मोचक के बारह लीलाओं के दर्शन भी इस मंदिर में होते हैं l मंदिर में एक धनुषाकार प्रवेश द्वार है जिसपर दो मछलियाँ हैं, जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक हैं। इस मंदिर का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और 2016 में तत्कालीन राज्यपाल केके पॉल मंदिर का उद्घाटन किया था।
कोसी नदी के समीप स्थित ये मंदिर है रामनगर से आठ किलोमीटर दूर अंजनी ग्राम के छोई में है l पौराणिक मान्यतों के अनुसार यहाँ कोसी नदी के तट पर हुनमान जी ने तपस्या की थी l
दिव्यस्वरूप, माँ अंजनी के साथ बाल रूप, राम जी के चरणों में दास्य रूप, रमामणी हनुमान, संकीर्तनी हनुमान, पंच मुखी हनुमान, संजीवनी हनुमान, राम लक्ष्मण को कंधों पर लिए पराक्रमी हनुमान और राम सीता हृदय में राममयी हनुमान : हुनमान जी के ये वो रूप हैं जिनकी पूजा इस मंदिर में की जाती है l
ये दिव्य स्थान, ना केवल अपनी भव्यता बल्कि अपनी अलौकिकता के कारण आस्था का केंद्र बना हुआ है l छोई गाँव का शांत वातावरण मैडिटेशन के लिए पूरी तरह से अनुकूल है
सिद्धबली मंदिर : भंडारा करवाने के लिए करना होता है सालों इंतज़ार
कोटद्वार में मौजूद सिद्धबली मंदिर की महिमा ना केवल उत्तराखंड बल्कि विदेशों तक फैली हुई है l माना जाता है की यहाँ महावीर हनुमान जी के दरबार में जो मांगा जाता है वो पूरा ज़रूर होता है l मांगी हुई इच्छा पूरी होने पर यहाँ भंडारा करने की परंपरा है और यहाँ भंडारा कराने के लिए सालों का इंतजार करना पड़ता है।
सिद्धबली धाम कोटद्वार नगर से करीब ढाई किमी दूर नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर कलयुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरू गोरखनाथ को यहां पर सिद्धि प्राप्त हुई थी। मान्यता है कि यहां पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरू गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया। जिसके बाद दोनों में युद्ध हुआ। दोनों में से कोई भी एक-दूसरे को परास्त नहीं कर पाया, जिसके बाद बजरंग बली अपने वास्तविक रूप में आए और गुरू गोरखनाथ से वरदान मांगने को कहा। जिस पर गुरू गोरखनाथ ने हनुमान से यहां पर उनके प्रहरी के रूप में रहने की गुजारिश की।
हनुमान गढ़ी: नीम करौली महाराज ने रखी थी नींव
नैनीताल शहर से लगभग 3.5 कि.मी दूर हनुमान गढ़ी मंदिर यहाँ आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है l इस स्थान पर नीम करौली महाराज 1950 में हनुमान गढ़ी आये थे, जिसके बाद बाबा ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर यहां एक कुटिया का निर्माण किया l यहाँ पर कुटिया के समीप उन्होंने छोटे हनुमान जी और 1953 में बड़े हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की l
समुद्र तल से करीब 1951 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हनुमान मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां सच्चे मन से आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती हैl मंदिर में भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे क्षेत्र और स्थानीय लोगों की रक्षा करते हैं। प्रतिमा के ऊपर एक सुनहरा छत्र भी स्थापित है।
हनुमान चट्टी : यहाँ तोड़ा था राम भक्त ने भीम का घमंड
महाभारत के अनुसार हनुमान चट्टी वो जगह है जहाँ भगवान हनुमान एक बूढ़े वानर का रूप धारण कर भीम से मिले थे l हनुमान चट्टी बद्रीनाथ मंदिर से करीब 12 किमी और जोशी मठ से 34 किमी दूर स्थित है l बद्रीनाथ आने वाले सभी दर्शनार्थी हनुमान चट्टी के भी दर्शन ज़रूर करते हैं l
मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में पांडव द्रौपदी के साथ वनवास का समय व्यतीत कर रहे थे l एक दिन द्रौपदी ने एक ब्रह्मकमल को गंगा में बहते हुए देखा और भीम से कुछ और ब्रह्मकमल लेकर आने के लिए कहा l ब्रह्मकमल पुष्प की खोज करते हुए भीम बद्रीवन में प्रवेश करते हैं, तभी रास्ते में उन्हें एक वृद्ध वानर लेटा हुआ दिखाई देता है जिसकी पूंछ से रास्ता रुका हुआ था। भीम उस वानर को रास्ते से हटने के लिए कहते हैं लेकिन वानर अपने बुढ़ापे की बात कह उठने में असमर्थता दिखाता है और भीम को पूंछ हटाकर चले जाने के लिए बोलता हैlलेकिन भीम की बहुत कोशिशों के बावजूद वो पूंछ को हिला नहीं पाता, इसके बाद भीम को समझ आता है कि ये कोई सामान्य वानर नहीं है। तब भीम वानर से अपने असली स्वरूप में आने की प्रार्थना करता है। इसके बाद हनुमानजी अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट होकर भीम को घमंड से बचने की सीख देते हैं l