Saturday, December 21, 2024

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टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट : राज परिवार का वर्चस्व

टिहरी-गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र टिहरी, उत्तरकाशी व देहरादून जनपद की 14 विधानसभा सीटों को मिलाकर बना है। आज़ादी के समय टिहरी राज्य का भारत में विलय होने के बाद यहाँ आम चुनाओं में स्थानीय राज घराने  का काफी दबदबा रहा है।

 

भौगोलिक पृठभूमि

टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट पूर्व में पौड़ी, दक्षिण में हरिद्वार, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और उत्तर में चीन की सीमा से सटा हुआ संसदीय क्षेत्र है। यह क्षेत्र  उत्तरकाशी, देहरादून और टिहरी गढ़वाल जिले के कुछ हिस्सों को शामिल कर बनाया है। कुल 14 विधानसभा क्षेत्र, पुरोला, यमुनोत्री, गंगोत्री, घनसाली, प्रतापनगर, टिहरी, धनोल्टी, चकराता, विकासनगर, सहसपुर, रायपुर, राजपुर रोड, देहरादून कैंट व मसूरी , इस संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं। पर्यटन के लिहाज़ से ये संसदीय सीट काफी महतवपूर्ण है और उत्तराखंड की आर्थिक मजबूती बनाए रखने में इस क्षेत्र का खासा योगदान है l लाखमंडल, गोमुख, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम तथा दुनियां का आठवां सबसे बड़ा टिहरी बांध सहित स्वामी रामतीर्थ की तप स्थली और श्रीदेव सुमन की कर्मस्थली इसी लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं l इसके अतिरिक्त चम्बा, बुढा केदार मंदिर, कैम्पटी फॉल, देवप्रयाग आदि प्रसिद्ध स्थान भी इसी लोकसभा  क्षेत्र का हिस्सा हैंl

 

राजनीतिक पृष्ठभूमि

1949 में टिहरी राज्य का भारतीय संघ में विलय के होने के बाद 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाओं में राजा मानवेंद्र शाह का नामांकन खारिज होने पर महारानी कमलेंदुमति को निर्दलीय चुनाव में उतारा गया और उन्होंने इस सीट पर पहले ही लोकसभा चुनाओं के बाद राज परिवार की उपस्थिति दर्ज़ करवा दी l इसके बाद हुए चुनावों में टिहरी रियासत के अंतिम राजा मानवेंद्र शाह 1957 में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे और 1967 तक वे इस सीट पर सांसद रहेl इसके बाद जब साल 1971 में कांग्रेस के टिकट से परिपूर्णानंद ने टिहरी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज़ की l1977 में त्रेपन सिंह नेगी बीएलडी की टिकेट पर यहाँ से चुनाव जीते और 1980 में कांग्रेस में शामिल हो विजय हुए। एक बार फिर राज परिवार इस सीट से संसद के भीतर पहुंचे लेकिन बीजेपी की टिकेट पर l पहले 1991 और फिर 2004 में मानवेंद्र शाह भाजपा की टिकट पर सांसद चुने गए। इसके बाद साल 2009 में हुए चुनाओं में कांग्रेस ने वापसी करते हुए विजय बहुगुणा ने यहाँ से जीत हासिल की। लेकिन विजय बहुगुणा के प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से खाली हुई इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद राज्य लक्ष्मी शाह को उपचुनाओं के दौरान मैदान में उतार, जो तब से लगातार इस सीट पर अपना वर्चस्व कायम रखे हुईं हैंl राज्य लक्ष्मी शाह ने 2014 में कांग्रेस से साकेत बहुगुणा और 2019 में प्रीतम सिंह को शिकश्त दीl लेकिन ये दोनों ही जीत मोदी लहर के बीच भी बहुत बड़े फासले की जीत नहीं थी, कांग्रेस को 2014 में 31 फीसदी और 2019 में 30 फीसदी मत मिले थे। एक बार फिर बीजेपी ने माला राज्य लक्ष्मी शाह को चुनाव मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला इस बार कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला से होगा। गुनसोला पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

 

टिहरी लोकसभा सीट पर कुल 19.74 लाख मतदाता हैंl इनमें से 8.13 लाख पुरुष मतदाता हैं जबकि 7.60 लाख महिला मतदाता हैं l वहीँ 18 से 19 आयु वर्ग के मतदाताओं की संख्या 28,638 है, जबकि 85 वर्ष से अधिक उम्र वाले मतदाताओं की संख्या 12,999 हैl इसके अलावा दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 16, 363 जबकि सर्विस वोटर की संख्या 12, 876 हैl

 

 

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