Sunday, December 22, 2024

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हरिद्वार संसदीय सीट : साल-दर-साल बदलते समीकरण

हरिद्वार संसदीय सीट दो जिलों देहरादून और हरिद्वार को मिला कर बनी है l 1977 में परिसीमन के बाद ये निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया था l मौजूदा समय में इस सीट के अंतर्गत चौदह विधान सभा क्षेत्र शामिल हैं l शुरूआत में भारतीय लोकदल के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस ने पकड़ मजबूत करने में सफलता हासिल की थी, लेकिन 1991 के बाद कुछ एक मौके छोड़ दिए जाएं तो ज्यादातर समय भाजपा ने ही सदन में इस  क्षेत्र प्रतिनिधित्व किया है l

 

राजनीतिक पृष्ठभूमि

1977 में जब ये सीट अस्तित्व में आई, तब पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का यहां पर खासा दबदबा था। यही कारण रहा कि परिसीमन के बाद यहाँ से सबसे पहले  लोकदल का प्रतिनिधी चुन कर दिल्ली पहुंचाl  1980 में यह सीट जनता पार्टी ने जीती, लेकिन 1984 में समीकरण बदले और कांग्रेस लहर का असर  यहाँ के चुनाव परिणामों में देखने को मिलाl इसके बाद 1987 के उपचुनाव में भी कांग्रेस को यहाँ अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब मिली। यहाँ तक कि मंडल कमंडल के दौर में यानि 1989 में भी  कांग्रेस ने यहाँ से जीत हासिल की लेकिन 1991 में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राम सिंह सैनी ने अपनी ज़मीनी पकड़ के कारण इस सीट पर समीकरणों को बदल दिया और सीट पर भाजपा ने अपना झंडा गाड़ दिया । इसके बाद ये संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई और भाजपा ने इस दौरान हरपाल साथी  को मैदान में उतारा जिन्होंने लगातार तीन चुनाव जीतकर एक रिकार्ड बनाया। लेकिन इसके बाद हरिद्वार की जनता ने सपा पर भरोसा  जताया और 2004 में ये सीट सपा की झोली में  डाल दी l  लेकिन 2011 में परिसीमन होने के बाद इस लोकसभा क्षेत्र  का राजनीतिक मिजाज काफी प्रभावित हुआ। हरिद्वार सीट में देहरादून के तीन विधानसभा क्षेत्र डोईवाला, धर्मपुर और ऋषिकेश शामिल किए गए। बदलते चुनावी समीकरणों  के बीच भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा को इस क्षेत्र  पर नए सिरे से प्रयास करना पड़ाl  ये सीट 2009 में अनारक्षित श्रेणी में आ गई l जिसके बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। लेकिन मोदी लहर में ये सीट फिर से एक बार BJP के पाले में आ गई l पिछले दो चुनावों  (2014 और 2019 )में भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक लगातार दो बार जीत कर यहाँ से दिल्ली पहुंचे l हालाँकि  2014 में आम आदमी पार्टी ने भी यहाँ अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की और पहली पुलिस महानिदेशक रही कंचन चौधरी को मैदान में उतारा पर सफल नहीं हो सकी।

 

भौगौलिक पृष्ठभूमि

बात करते हैं इस सीट की भौगौलिक पृष्ठभूमि की l इस सीट के अंतर्गत चौदह विधान सभा क्षेत्र शामिल हैं l ये क्षेत्र हैं भेल रानीपुर , भगवानपुर (एससी), हरिद्वार, हरद्वार ग्रामीण, झबरेड़ा (एससी), ज्वालापुर (एससी), खानपुर, लक्सर, मंगलौर, पिरान कालियार, रुड़की, धर्मपुर, डोईवाला और ऋषिकेश l  हरकी पैड़ी, शक्तिपीठ मां मनसा देवी मंदिर, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज,योगगुरु बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ और भारत की नवरत्न कंपनियों में शामिल भेल के साथ ही इस संसदीय सीट की जाती हैl  यहां का राजाजी टाइगर रिजर्व देश ही नहीं दुनिया में भी अपनी अलग पहचान रखता हैl 20 सालों में हरिद्वार लोकसभा सीट पर वोटरों की संख्या में रिकॉर्ड 122 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है 2004 के चुनाव में वोटरों की संख्या 914440 थी जो अब बढ़ कर   2031668 हो गई है l

 

मौजूदा समीकरण

हरिद्वार संसदीय सीट से साल 2019 में भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक ने जीत हासिल की थीl साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में निशंक ने कांग्रेस के अंबरीश कुमार को कुल 258729 वोटों के अंतर से हराया था l इस बार बीजेपी ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है, वहीँ उनके मुकाबले कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत अपने बेटे के राजनीतिक करियर को मज़बूत करने का कोई मौका नहीं गवाना चाहते l ऐसे में हरिद्वार की लड़ाई काफी रोचक बन गई है।

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