सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती से सांसद और भाजपा नेता नवनीत कौर राणा की उस याचिका को विचार के लिए स्वीकार कर लिया है, जिसमें उन्होंने जाति प्रमाणपत्र को रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा ने कहा कि उच्च न्यायालय को मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। नवनीत की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि हाईकोट को जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर जांच समिति की रिपोर्ट में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। दरअसल, 8 जून 2021 को उच्च न्यायालय ने कहा था कि नवनीत ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके ‘मोची’ जाति प्रमाण पत्र धोखाधड़ी से हासिल किया। कोर्ट ने यह कहते हुए अमरावती की सांसद पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह ‘सिख-चमार’ जाति से थीं।
नवनीत राणा ने 2019 में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर महाराष्ट्र में आरक्षित अमरावती संसदीय सीट जीती थी। हाल ही में वह भाजपा में शामिल हो गई हैं और उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने जा रही हैं। उन्हें 2019 में राकांपा का समर्थन मिला हुआ था।