चुनाव आयोग (ईसी) और महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में नोटा के विकल्प के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका एक छात्र सुहास वानखेड़े द्वारा दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग को एक ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करना चाहिए, ताकि लोगों में वोट डालते समय नोटा विकल्प के बारे में जागरूकता पैदा हो सके। जनहित याचिका में चुनाव आयोग को नोटा के विकल्प के बारे में जागरूरकता फैलाने के बारे में जागरूकता फैलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति आरएम जोशी की खंडपीठ ने 22 मार्च को याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। फैसले की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई।