संसद में हंगामे अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। देश की विधायिका पर बड़ा दारोमदार कानून बनाना और इसके लिए विधेयकों पर चर्चा के बाद इन्हें संसद के दोनों सदनों से पारित कराना है। कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया भी संसद से होकर गुजरती है। खास बात ये कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की सरकार ने बीते एक दशक में हजारों पुराने कानूनों को खत्म करने का दावा किया है। ताजा घटनाक्रम में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की तरफ से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक 17वीं लोकसभा में 222 विधेयक पारित कराए गए। एडीआर ने इस रिपोर्ट में कुछ हैरान करने वाले तथ्य भी सामने रखे हैं। एडीआर के मुताबिक बीते पांच साल के दौरान 222 में से 45 विधेयक ऐसे हैं जो उसी दिन पारित हो गए जिस दिन इन विधेयकों को सदन में पेश किया गया। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक जिन 45 विधेयकों को मंजूरी दी गई है इनमें विनियोग (लेखानुदान) विधेयक, विनियोग विधेयक (Appropriation Bill), जम्मू-कश्मीर विनियोग (नंबर-दो) विधेयक, केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 और चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक , 2021 जैसे बिल शामिल हैं। एडीआर की इस रिपोर्ट में 17वीं लोकसभा के दौरान हुए विधायी कामकाज का विश्लेषण किया गया है। 17वीं लोकसभा के पांच साल के कार्यकाल में 240 बिल पेश किए गए। इनमें से 222 पारित हुए। इसके अलावा 2019 से 2024 की अवधि में 11 बिल वापस ले लिए गए। छह विधेयक लंबित हैं। केवल एक विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। सांसदों के प्रदर्शन को लेकर एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि एक सांसद ने औसतन 165 सवाल पूछे। सदन की कुल 273 बैठकों में से 189 में भाग लिया। छत्तीसगढ़ के सांसदों की औसत उपस्थिति सबसे अधिक रही। राज्य के 11 सांसदों ने 273 बैठकों में से 216 में भाग लिया। सबसे कम के पैमाने पर अरुणाचल प्रदेश रहा। यहां के सांसद की औसत उपस्थिति सबसे कम रही। अरुणाचल से निर्वाचित दो सांसदों ने केवल 127 बैठकों में भाग लिया।