Monday, December 29, 2025

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तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) घोटाला: क्लर्क की 100 करोड़ की ‘माया’ की फिर होगी जांच, हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

अमरावती/तिरुपति। विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रबंधन निकाय, ‘तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम’ (TTD) में काम करने वाले एक मामूली क्लर्क द्वारा 100 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब संपत्ति जुटाने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए केस को फिर से खोलने का आदेश दिया है। अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस बात की गहनता से जांच की जाए कि एक अल्प वेतनभोगी कर्मचारी के पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई।

कैसे हुआ था 100 करोड़ के साम्राज्य का खुलासा?

यह मामला पी. शेषाद्री नामक एक पूर्व क्लर्क से जुड़ा है, जिस पर लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार, क्लर्क ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मंदिर के विभिन्न कार्यों और अनुबंधों में कथित तौर पर हेराफेरी की। छापेमारी के दौरान जो तथ्य सामने आए थे, वे चौंकाने वाले थे:

  • अचल संपत्ति: क्लर्क के पास तिरुपति और आसपास के इलाकों में कई बेशकीमती प्लॉट, आलीशान बंगले और कृषि भूमि पाई गई थी।
  • सोना और नकदी: तलाशी के दौरान भारी मात्रा में स्वर्ण आभूषण और नकदी बरामद की गई थी, जो उसकी आय के ज्ञात स्रोतों से हजारों गुना अधिक थी।
  • विदेशी निवेश: कुछ रिपोर्ट्स में क्लर्क के परिवार के सदस्यों के नाम पर विदेशों में भी निवेश की आशंका जताई गई है।

हाईकोर्ट को क्यों हस्तक्षेप करना पड़ा?

इससे पहले, निचली अदालत और विभाग द्वारा इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम पर सवाल उठने लगे थे। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई कि इतने बड़े वित्तीय घोटाले को बिना किसी तार्किक निष्कर्ष के कैसे बंद किया जा सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक संस्थान, विशेषकर तिरुपति जैसे पवित्र मंदिर के धन की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

भ्रष्टाचार का तरीका: मंदिर के प्रसाद और टिकटों में खेल?

प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिले थे कि आरोपी क्लर्क ने कथित तौर पर वीआईपी दर्शन टिकटों के आवंटन, दान में मिले सोने की हेराफेरी और मंदिर के निर्माण कार्यों के ठेकों में बिचौलिये की भूमिका निभाकर अवैध कमीशन कमाया था। श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े इस संस्थान में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार ने मंदिर प्रशासन की आंतरिक निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

अब आगे क्या होगा?

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, एसीबी (ACB) अब नए सिरे से चार्जशीट दाखिल करेगी। जांच टीम क्लर्क के सभी बैंक खातों, बेनामी संपत्तियों और उनके रिश्तेदारों के नाम पर दर्ज कागजात खंगालेगी। कानूनी जानकारों का मानना है कि यदि दोष सिद्ध होता है, तो न केवल आरोपी की संपत्ति जब्त की जाएगी, बल्कि इसमें शामिल अन्य बड़े अधिकारियों और बिचौलियों के नाम भी सामने आ सकते हैं।

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