पुणे/पिंपरी: महाराष्ट्र की राजनीति में ‘पवार बनाम पवार’ की जंग के बीच एक ऐसा मोड़ आया है जिसने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है। आगामी निकाय चुनावों (Municipal Elections) से ठीक पहले, पिंपरी चिंचवड नगर निगम के रण में अजित पवार और शरद पवार ने हाथ मिला लिया है। वर्षों की कड़वाहट और पार्टी में विभाजन के बाद, इस औद्योगिक नगरी में दोनों गुटों का एक साथ आना राज्य की सत्ताधारी और विपक्षी गठबंधन की समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है।
चाचा-भतीजे के मिलन से पिंपरी में नया समीकरण
पिंपरी चिंचवड को हमेशा से ही अजित पवार का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय से शरद पवार गुट ने यहाँ अपनी सक्रियता बढ़ाई थी। अब दोनों नेताओं के एक मंच पर आने के फैसले के पीछे की सबसे बड़ी वजह ‘मराठा कार्ड’ और बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को रोकना बताया जा रहा है।
- सीटों का बंटवारा: सूत्रों के अनुसार, दोनों गुटों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर प्राथमिक सहमति बन गई है।
- साझा चुनाव प्रचार: जल्द ही शरद पवार और अजित पवार एक साथ चुनावी रैलियों को संबोधित करते नजर आ सकते हैं।
महायुति और महाविकास अघाड़ी में बढ़ी बेचैनी
इस गठबंधन ने न केवल बीजेपी (महायुति) बल्कि कांग्रेस और शिवसेना (UBT) की धड़कनें भी बढ़ा दी हैं।
- बीजेपी की चुनौती: पिंपरी चिंचवड नगर निगम पर फिलहाल बीजेपी का मजबूत प्रभाव है। पवार परिवार का एक होना बीजेपी की राह मुश्किल कर सकता है।
- गठबंधन का भविष्य: सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह ‘हाथ मिलाना’ केवल स्थानीय निकाय चुनाव तक सीमित है या इसका असर राज्य की मुख्य राजनीति पर भी पड़ेगा।
कार्यकर्ताओं में उत्साह, विरोधियों में सन्नाटा
जैसे ही पिंपरी में दोनों गुटों के गठबंधन की खबर फैली, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। कार्यकर्ताओं का मानना है कि पवार परिवार के एकजुट होने से पार्टी का वोट बैंक फिर से संगठित हो जाएगा, जो विभाजन के कारण बिखर गया था।
राजनीतिक विश्लेषक का मत: “महाराष्ट्र की राजनीति में कोई भी स्थायी दुश्मन नहीं होता। पिंपरी चिंचवड का यह प्रयोग भविष्य में ‘पवार बनाम पवार’ की लड़ाई के अंत का संकेत भी हो सकता है। यह कदम बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती पेश करेगा।”





