Saturday, December 27, 2025

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अरावली के संरक्षण के लिए केंद्र का बड़ा कदम: नई माइनिंग लीज पर पूरी तरह पाबंदी, पुराने पट्टों की होगी कड़ी समीक्षा

नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान की पारिस्थितिकी (Ecology) के लिए लाइफलाइन मानी जाने वाली अरावली पहाड़ियों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए केंद्र ने अरावली क्षेत्र में नई माइनिंग लीज (खनन पट्टों) के आवंटन पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही, वर्तमान में चल रहे पुराने खनन पट्टों पर नकेल कसने के लिए कड़े नियम लागू किए जा रहे हैं, ताकि पहाड़ियों के अस्तित्व से हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके।

पहाड़ियों के अस्तित्व पर मंडराता संकट

अरावली पर्वत श्रृंखला न केवल राजस्थान बल्कि दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण संतुलन के लिए भी अनिवार्य है। दशकों से हो रहे अवैध और अनियंत्रित खनन के कारण कई पहाड़ियां पूरी तरह गायब हो चुकी हैं।

  • नई लीज पर रोक: केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील (Eco-sensitive) क्षेत्रों में अब किसी भी नए खनन कार्य की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • पुराने पट्टों की जांच: जो माइनिंग लीज पहले से प्रभावी हैं, उनके नवीनीकरण (Renewal) और संचालन की कड़ी निगरानी की जाएगी। यदि कोई भी नियम का उल्लंघन पाया जाता है, तो उसे तुरंत निरस्त कर दिया जाएगा।

रेगिस्तान के प्रसार को रोकना है मुख्य उद्देश्य

विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली पहाड़ियां थार रेगिस्तान के प्रसार को रोकने में प्राकृतिक दीवार का काम करती हैं।

  • हरित आवरण को बढ़ावा: केंद्र सरकार का लक्ष्य माइनिंग को सीमित कर इस क्षेत्र में हरित पट्टी (Green Buffer) को फिर से जीवित करना है।
  • अवैध खनन पर जीरो टॉलरेंस: सरकार ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि अरावली क्षेत्र में होने वाले किसी भी अवैध खनन के विरुद्ध सख्त कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन

यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर अरावली को लेकर दी गई चेतावनियों के मद्देनजर लिया गया है। अदालत ने पहले ही चिंता व्यक्त की थी कि अरावली के विनाश से उत्तर भारत में धूल भरी आंधियों और जल संकट की समस्या गंभीर हो सकती है। केंद्र की इस नई सख्ती को अदालत के निर्देशों के कार्यान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

पर्यावरणविदों ने किया फैसले का स्वागत

पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने केंद्र के इस निर्णय की सराहना की है। उनका कहना है कि पहाड़ियों को काटकर जो सीमेंट और कंक्रीट का जाल बुना जा रहा था, उस पर रोक लगने से जैव विविधता (Biodiversity) को बचाने में मदद मिलेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी मांग की है कि केवल कागजी पाबंदी के बजाय जमीन पर सख्त मॉनिटरिंग और ड्रोन सर्विलांस का उपयोग किया जाना चाहिए।

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