वाशिंगटन/दमिश्क: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ अपनी आक्रामक नीति के संकेत दे दिए हैं। ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिकी वायुसेना ने सीरिया में आतंकी संगठन ISIS (इस्लामिक स्टेट) के ठिकानों पर जोरदार हवाई हमले (Air Strike) किए हैं। इस सैन्य कार्रवाई में आईएसआईएस के कई रणनीतिक ठिकानों और प्रशिक्षण शिविरों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया है।
सर्जिकल स्ट्राइक जैसी सटीकता: ठिकानों को बनाया निशाना
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ‘पेंटागन’ के सूत्रों के अनुसार, यह एयरस्ट्राइक मध्य सीरिया के उन इलाकों में की गई जहाँ आईएसआईएस के लड़ाके फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहे थे। अमेरिकी लड़ाकू विमानों और ड्रोनों ने आतंकवादियों के हथियार डिपो, कमांड सेंटरों और भूमिगत ठिकानों को निशाना बनाया। प्राथमिक रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए हैं, जिनमें संगठन के कुछ महत्वपूर्ण कमांडर भी शामिल हो सकते हैं।
ट्रंप का सख्त संदेश: “आईएसआईएस का सफाया हमारी प्राथमिकता”
व्हाइट हाउस से जारी एक संक्षिप्त बयान में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अपनी सुरक्षा और वैश्विक शांति के लिए किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा। ट्रंप ने कहा, “हमने पहले भी आईएसआईएस के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ी थी और अब भी हम उन्हें दोबारा सिर नहीं उठाने देंगे। हमारा लक्ष्य दुनिया को इस बर्बर आतंक से मुक्त करना है।”
ऑपरेशन की गोपनीयता और प्रभाव
यह हमला पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और सटीक खुफिया जानकारी (Intelligence) के आधार पर इसे अंजाम दिया गया। इस एयरस्ट्राइक के माध्यम से अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मध्य-पूर्व (Middle East) में उसकी सैन्य उपस्थिति और आतंकवाद विरोधी अभियान और अधिक आक्रामक होने वाले हैं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम वैश्विक राजनीति में अमेरिका के ‘हार्ड पावर’ के प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर चिंता और प्रतिक्रिया
जहाँ एक ओर इजराइल और कुछ पश्चिमी देशों ने इस कदम का स्वागत किया है, वहीं दूसरी ओर रूस और ईरान जैसे देशों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। सीरिया में विदेशी सेना की इस कार्रवाई से क्षेत्र में तनाव बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। हालांकि, पेंटागन ने स्पष्ट किया है कि यह हमला केवल आतंकी ठिकानों तक सीमित था और इसमें नागरिक सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है।
आगे क्या?
आने वाले दिनों में अमेरिकी सेना सीरिया और इराक के सीमावर्ती इलाकों में ‘सर्च ऑपरेशन’ और अधिक तेज कर सकती है। ट्रंप प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि वे केवल एयरस्ट्राइक तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Funding) के स्रोतों को भी पूरी तरह बंद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाएंगे।





