नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने से इसके कारण पड़ने वाले असर को भांपते हुए विपक्षी दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु ने साफ कर दिया है कि वे इस कानून को अपने राज्यों में लागू नहीं होने देंगे। वहीं, केरल में भी सीएए को लेकर हंगामा मचा हुआ है। यहां राजभवन के सामने बुधवार को केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने धरना दिया। केरल में सीएए लागू नहीं होने वाली अटकलों पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘राजनैतिक कारणों से कहा जा रहा है। मैं राजनीति के बारे में बात नहीं करना चाहूंगा।’ उन्होंने कहा, मैं बस यही कहूंगा कि सीएए के बारे में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह तक हर किसी ने बात की है। यह वादा सन् 1947 में किया गया था।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने सांप्रदायिक आधार पर लोगों को बांटने के लिए सीएए लागू किया है। उन्होंने धरने को संबोधित करते हुए कहा, ‘जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो हम गरीबों के जीवन में सुधार के लिए कई कानून लेकर आए थे। लेकिन जब भाजपा सत्ता में आई तो उन्होंने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए लोगों को बांटने के लिए कानून बनाए।’