कोलकाता/मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के भीतर एक बार फिर अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है। टीएमसी के वरिष्ठ नेता और विधायक हुमायूं कबीर ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीधी चुनौती दे डाली है। कबीर ने दावा किया है कि वह आने वाले समय में पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाएंगे और टीएमसी की सीटों को ‘शून्य’ पर लाने के लिए काम करेंगे।
बगावत के पीछे क्या है मुख्य कारण?
हुमायूं कबीर लंबे समय से पार्टी के कुछ आंतरिक फैसलों और मुर्शिदाबाद जिले में नेतृत्व के वितरण को लेकर असंतुष्ट चल रहे थे।
- सीधी चुनौती: कबीर ने ममता बनर्जी का नाम लेकर कहा कि वह अब पार्टी के भीतर रहकर चुप नहीं बैठेंगे।
- संगठनात्मक असंतोष: उनका आरोप है कि पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है और कुछ खास लोगों को ही तवज्जो दी जा रही है।
क्या है हुमायूं कबीर का ‘प्लान’?
विधायक हुमायूं कबीर ने केवल बयानबाजी ही नहीं की, बल्कि अपने अगले कदम के संकेत भी दे दिए हैं:
- वोट बैंक में सेंधमारी: कबीर का मुख्य प्लान मुर्शिदाबाद और आसपास के जिलों में टीएमसी के पारंपरिक अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाना है।
- नया मोर्चा या निर्दलीय चुनाव: राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि वह अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक नया मंच तैयार कर सकते हैं या आगामी चुनावों में टीएमसी उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी उतारकर खेल बिगाड़ सकते हैं।
- शून्य का लक्ष्य: उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि उनका एकमात्र उद्देश्य पार्टी को उसकी ‘औकात’ दिखाना और विशिष्ट क्षेत्रों में उनकी सीटों को शून्य करना है।
TMC नेतृत्व की प्रतिक्रिया
हुमायूं कबीर की इस खुली बगावत के बाद टीएमसी नेतृत्व सतर्क हो गया है।
- अनुशासनात्मक कार्रवाई: सूत्रों के अनुसार, पार्टी हाईकमान उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और उन्हें पार्टी से निष्कासित करने पर विचार कर रहा है।
- नेताओं का बयान: टीएमसी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कबीर के बयान को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा है कि ममता बनर्जी के नाम पर चुनाव जीतने वाले लोग अब कृतघ्न हो रहे हैं।
बंगाल की राजनीति पर प्रभाव
मुर्शिदाबाद जिला टीएमसी के लिए एक मजबूत गढ़ रहा है। हुमायूं कबीर जैसे कद्दावर और मुखर नेता की बगावत आगामी चुनावों में पार्टी के गणित को बिगाड़ सकती है। विशेष रूप से उन सीटों पर जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम रहता है, वहां कबीर का प्रभाव टीएमसी के लिए सिरदर्द बन सकता है।





