देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं—’आयुष्मान भारत’ और राज्य कर्मचारियों के लिए लागू ‘गोल्डन कार्ड’ योजना—के स्वरूप में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। अब ये योजनाएं पूरी तरह से ट्रस्ट मोड के बजाय इंश्योरेंस और हाइब्रिड मोड पर संचालित की जाएंगी। शासन के इस फैसले का उद्देश्य भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाना और मरीजों को इलाज में होने वाली दिक्कतों को दूर करना है।
क्या है नया ‘हाइब्रिड मॉडल’?
अब तक उत्तराखंड में इन योजनाओं का संचालन एक सरकारी ट्रस्ट के माध्यम से किया जा रहा था। नए हाइब्रिड मॉडल के तहत सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर काम करेंगी:
- बीमा कंपनियों की भागीदारी: एक निश्चित राशि तक के क्लेम का भुगतान सीधे बीमा कंपनी करेगी।
- बड़े क्लेम पर ट्रस्ट की भूमिका: यदि इलाज का खर्च निर्धारित बीमा राशि की सीमा से अधिक होता है, तो उसका भुगतान ‘स्टेट हेल्थ अथॉरिटी’ (ट्रस्ट) द्वारा किया जाएगा।
- पारदर्शिता: इस मॉडल से अस्पतालों के बिलों का निपटारा तेजी से होगा और फर्जीवाड़े की आशंका कम होगी।
क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत?
पिछले कुछ समय से कई निजी अस्पतालों द्वारा समय पर भुगतान न होने की शिकायतें मिल रही थीं। ट्रस्ट मोड में कई बार तकनीकी कारणों से क्लेम अटक जाते थे, जिससे अस्पताल मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी करते थे।
- समय पर भुगतान: इंश्योरेंस मोड आने से अस्पतालों को उनके क्लेम का भुगतान एक तय समय सीमा (TPA के माध्यम से) के भीतर हो सकेगा।
- बेहतर सुविधाएं: भुगतान प्रक्रिया सुचारू होने से निजी अस्पताल आयुष्मान और गोल्डन कार्ड धारकों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज मुहैया कराएंगे।
राज्य कर्मचारियों और आम जनता पर प्रभाव
- गोल्डन कार्ड धारक: राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को अब पैनल में शामिल बड़े अस्पतालों में कैशलेस इलाज मिलने में आसानी होगी।
- आम जनता: आयुष्मान कार्ड धारकों को भी अब ‘सर्वर डाउन’ या ‘पेमेंट पेंडिंग’ जैसी समस्याओं के कारण इलाज से वंचित नहीं होना पड़ेगा।
शासन की तैयारी
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग और स्टेट हेल्थ अथॉरिटी ने नई बीमा कंपनियों के चयन के लिए निविदा (Tender) प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार का लक्ष्य है कि आगामी वित्तीय सत्र से इस हाइब्रिड मॉडल को पूरी तरह से धरातल पर उतार दिया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा और अधिक मजबूत होगा।
मुख्य बदलाव एक नजर में:
- योजना अब ट्रस्ट + इंश्योरेंस (Hybrid) मोड पर आधारित होगी।
- अस्पतालों के बिलों का जल्द भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।
- बीमा कंपनियां क्लेम सेटलमेंट की जिम्मेदारी संभालेंगी।





