मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों ठाकरे भाइयों—उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे—के बीच बढ़ती नजदीकियों और संभावित गठबंधन की चर्चाएं तेज हैं। इस संभावित सियासी समीकरण पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने दोनों भाइयों के साथ आने की तुलना ‘रूस और यूक्रेन’ के मिलन से कर दी, जिससे राजनीतिक गलियारों में जुबानी जंग और तेज हो गई है।
फडणवीस का तीखा हमला
एक प्रेस वार्ता के दौरान जब फडणवीस से शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के भविष्य में साथ आने की संभावनाओं पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कटाक्ष करते हुए इसे असंभव सा बताया।
- अनोखी तुलना: फडणवीस ने कहा, “उद्धव और राज ठाकरे का एक साथ आना वैसा ही है जैसे रूस और यूक्रेन का युद्ध छोड़कर गले मिल जाना। इनकी विचारधाराएं और रास्ते अब इतने अलग हो चुके हैं कि इनका साथ आना केवल एक कल्पना मात्र है।”
- अस्तित्व का संकट: उन्होंने आगे कहा कि जब भी कोई दल कमजोर पड़ता है, तो वह अस्तित्व बचाने के लिए इस तरह के गठबंधन की खबरें फैलाता है।
क्यों हो रही है गठबंधन की चर्चा?
पिछले कुछ हफ्तों में मुंबई की राजनीति में कई ऐसे संकेत मिले हैं, जिससे ठाकरे भाइयों के करीब आने की अटकलों को हवा मिली:
- पारिवारिक कार्यक्रमों में मुलाकात: हाल ही में कुछ निजी कार्यक्रमों में दोनों भाइयों को एक-दूसरे के साथ सहज देखा गया।
- साझा राजनीतिक दुश्मन: राज्य में वर्तमान में भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के खिलाफ मोर्चाबंदी करने के लिए दोनों गुटों के कुछ कार्यकर्ताओं ने ‘ठाकरे’ ब्रांड को एकजुट करने की मांग उठाई है।
- मराठी कार्ड: दोनों ही दल ‘मराठी मानुष’ के मुद्दे पर राजनीति करते हैं, और समर्थकों का मानना है कि वोट बंटवारे को रोकने के लिए इनका साथ आना जरूरी है।
विपक्षी खेमे की प्रतिक्रिया
फडणवीस के इस बयान पर उद्धव गुट और मनसे की ओर से भी तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि भाजपा दोनों भाइयों की एकजुटता से डरी हुई है, इसलिए इस तरह के बेतुके बयान दे रही है।
“देवेंद्र फडणवीस को हमारे घर और परिवार की चिंता करने के बजाय राज्य की कानून व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। रूस-यूक्रेन का उदाहरण देना उनकी घबराहट को दर्शाता है।” — संजय राउत, सांसद (शिवसेना यूबीटी)
सियासी मायने
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ठाकरे परिवार के ये दो धड़े किसी भी रूप में साथ आते हैं, तो यह आगामी चुनावों में खासकर मुंबई और कोंकण क्षेत्र में भाजपा-शिंदे गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकता है। फडणवीस का यह बयान इसी संभावित चुनौती को हल्का करने की एक कोशिश माना जा रहा है।





