नई दिल्ली: भारतीय विमानन क्षेत्र (Aviation Sector) में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और यात्रियों को सस्ते हवाई सफर का विकल्प देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने हाल ही में तीन नई और उभरती हुई एयरलाइंस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की। इस बैठक के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार घरेलू बाजार में इंडिगो (IndiGo) के मौजूदा एकाधिकार को कम करने और छोटे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की योजना बना रही है।
बाजार में संतुलन बनाने की कोशिश
वर्तमान में भारतीय विमानन बाजार के लगभग 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर अकेले इंडिगो का कब्जा है। एयर इंडिया समूह के विस्तार के बावजूद, बाजार में अन्य एयरलाइंस की हिस्सेदारी काफी कम है। केंद्रीय मंत्री ने नई एयरलाइंस— फ्लाई91 (Fly91), स्टार एयर (Star Air) और ज़ूूपी (Zoppi)— के अधिकारियों से उनके परिचालन, विस्तार योजनाओं और आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। सरकार का मानना है कि जितनी अधिक एयरलाइंस होंगी, यात्रियों को उतने ही कम किराए और बेहतर सेवाओं का लाभ मिलेगा।
उड़ान (UDAN) योजना और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पर जोर
बैठक के दौरान मंत्री राम मोहन नायडू ने स्पष्ट किया कि सरकार का फोकस केवल महानगरों तक सीमित नहीं है। उन्होंने नई एयरलाइंस को ‘रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम’ (उड़ान) के तहत टियर-2 और टियर-3 शहरों के बीच अपनी उड़ानें बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इन नई कंपनियों को एयरपोर्ट स्लॉट आवंटन और परिचालन संबंधी बाधाओं को दूर करने में पूरा सहयोग प्रदान करेगी।
किरायों में गिरावट की उम्मीद
विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नई एयरलाइंस को पर्याप्त समर्थन मिलता है और वे अपना बेड़ा (Fleet) बढ़ाती हैं, तो इसका सीधा असर हवाई किराए पर पड़ेगा। जब एक ही रूट पर कई विकल्प मौजूद होंगे, तो एयरलाइंस के बीच ‘प्राइस वॉर’ छिड़ना तय है, जिसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा।
एकाधिकार (Monopoly) से जुड़ी चिंताएं
अक्टूबर में गो फर्स्ट (Go First) के बंद होने और स्पाइसजेट (SpiceJet) की वित्तीय चुनौतियों के बाद बाजार में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया था, जिसका लाभ बड़ी कंपनियों को मिला। केंद्रीय मंत्री ने संकेत दिए कि सरकार एक ‘स्वस्थ प्रतिस्पर्धा’ वाला वातावरण बनाना चाहती है, जहां कोई एक या दो कंपनियां पूरे बाजार को नियंत्रित न कर सकें। उन्होंने नई एयरलाइंस से सुरक्षा मानकों के साथ बिना समझौता किए अपनी क्षमता विस्तार की रणनीति पर काम करने को कहा।
भविष्य की रणनीति: लीजिंग और टैक्स में राहत?
सूत्रों के अनुसार, बैठक में नई एयरलाइंस ने विमानों को लीज पर लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने और ईंधनों पर लगने वाले टैक्स (ATF) के विषय में भी अपनी मांगें रखीं। उड्डयन मंत्री ने इन मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और संबंधित मंत्रालयों के साथ समन्वय करने का भरोसा दिलाया है।





