नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर क्रांतिकारी बदलावों की घोषणा की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप, अब बोर्ड परीक्षाओं में ‘रट्टा मार’ पढ़ाई के बजाय छात्रों की बौद्धिक क्षमता और तार्किक सोच (Critical Thinking) पर अधिक जोर दिया जाएगा। इसके अलावा, छात्रों के तनाव को कम करने के लिए साल में दो बार परीक्षा देने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।
1. 50% प्रश्न होंगे योग्यता आधारित (Competency-Based)
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि अब प्रश्नपत्रों का स्वरूप पूरी तरह बदल जाएगा।
- बौद्धिक क्षमता का परीक्षण: परीक्षा में अब 50% प्रश्न ‘योग्यता आधारित’ होंगे। इनमें बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs), केस स्टडी आधारित प्रश्न और स्रोत-आधारित एकीकृत प्रश्न शामिल होंगे।
- रटने की आदत पर लगाम: इन प्रश्नों का उद्देश्य यह जांचना है कि छात्र ने विषय को केवल याद किया है या उसे वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू करना भी सीखा है।
- लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों में कमी: पारंपरिक रूप से पूछे जाने वाले लंबे उत्तर वाले प्रश्नों का वेटेज (Weightage) अब कम कर दिया गया है।
2. साल में दो बार बोर्ड परीक्षा का सुनहरा मौका
छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने और बेहतर प्रदर्शन का अवसर देने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने एक नई योजना तैयार की है।
- अनिवार्य नहीं, स्वैच्छिक: साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देना अनिवार्य नहीं होगा। जो छात्र अपने पहले प्रयास के अंकों से संतुष्ट नहीं होंगे, वे दूसरी बार परीक्षा में बैठ सकेंगे।
- बेस्ट स्कोर का चयन: छात्र को यह विकल्प मिलेगा कि वह दोनों परीक्षाओं में से जिसमें अधिक अंक प्राप्त करेगा, उसी परिणाम को अंतिम माना जाएगा।
- तनाव मुक्त शिक्षा: इससे छात्रों को ‘एक ही मौके’ का डर नहीं सताएगा और वे अधिक आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दे सकेंगे।
3. रट्टा मार पद्धति का होगा अंत
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब तक छात्र केवल परीक्षा पास करने के लिए पढ़ते थे, लेकिन अब उन्हें हर विषय की गहरी समझ विकसित करनी होगी।
- तार्किक क्षमता का विकास: नए पैटर्न के तहत विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में प्रश्न सीधे न पूछकर घुमावदार तरीके से पूछे जाएंगे, जिससे छात्र की तार्किक क्षमता का पता चल सके।
प्रशासनिक तैयारी और कार्यान्वयन
CBSE ने सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश जारी कर दिया है कि वे अपनी आंतरिक परीक्षाओं और प्री-बोर्ड में भी इसी पैटर्न को अपनाएं। शिक्षकों को भी विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे छात्रों को योग्यता आधारित प्रश्नों के लिए तैयार कर सकें। बोर्ड का मानना है कि यह कदम भारतीय छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अधिक सक्षम बनाएगा।





