Tuesday, December 23, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

कोलकाता: नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या मामले में बड़ा फैसला, टीएमसी नेता को 5 साल की जेल और बेटे को उम्रकैद

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की एक विशेष अदालत ने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के स्थानीय नेता समरेंद्र मजूमदार को साक्ष्यों को छिपाने और साजिश रचने के दोष में 5 साल के कारावास की सजा सुनाई है, जबकि उनके बेटे सोहेल मजूमदार को मुख्य आरोपी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है।

क्या था पूरा मामला?

  • वारदात की पृष्ठभूमि: यह घटना करीब दो साल पहले की है, जब कोलकाता के पास एक ग्रामीण इलाके में एक नाबालिग लड़की का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था। जांच में सामने आया कि आरोपी सोहेल मजूमदार ने लड़की के साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसकी हत्या कर दी।
  • राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल: पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया था कि घटना के बाद टीएमसी नेता समरेंद्र मजूमदार ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पुलिस जांच को प्रभावित करने और शव का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार कराने की कोशिश की थी ताकि सबूत मिटाए जा सकें।

अदालत का कड़ा रुख

  • मुख्य आरोपी को सजा: अदालत ने सोहेल मजूमदार को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (दुष्कर्म), 302 (हत्या) और पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत दोषी पाया। न्यायाधीश ने इसे ‘जघन्य अपराध’ करार देते हुए उसे मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई।
  • पिता की भूमिका पर फैसला: टीएमसी नेता समरेंद्र मजूमदार को अपराध को संरक्षण देने और सबूतों से छेड़छाड़ करने का दोषी माना गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह का कृत्य समाज के लिए घातक है।

परिजनों और ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

  • इंसाफ की जीत: फैसले के बाद पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि हालांकि उनकी बेटी वापस नहीं आ सकती, लेकिन दोषियों को मिली इस कड़ी सजा से कानून पर उनका भरोसा बहाल हुआ है।
  • विपक्ष का हमला: इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति भी गरमा गई है। विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ दल पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए इसे सरकार की नैतिक हार बताया है।

कानूनी प्रक्रिया और जुर्माना

अदालत ने जेल की सजा के साथ-साथ दोनों दोषियों पर भारी जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि का एक हिस्सा पीड़िता के परिवार को मुआवजे के तौर पर देने का निर्देश दिया गया है। दोषियों के पास अब इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय (High Court) में अपील करने का विकल्प है, लेकिन फिलहाल उन्हें जेल भेज दिया गया है।

Popular Articles