नई दिल्ली: भारत ने ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर पार कर लिया है। संसद ने परमाणु ऊर्जा कानून में संशोधन से जुड़े महत्वपूर्ण बिल को मंजूरी दे दी है। यह कानून न केवल भारत की बिजली जरूरतों को पूरा करने का तरीका बदलेगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद करेगा।
संसदीय बदलाव और उद्देश्य
केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाया जाए, और इसके लिए निर्बाध बिजली की आपूर्ति अनिवार्य है। कोयले की सीमित उपलब्धता और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को देखते हुए, सरकार अब परमाणु ऊर्जा को मुख्यधारा में लाने की तैयारी कर रही है।
नए बिल की 10 सबसे बड़ी बातें
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: इस बिल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अब परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी कंपनियों के प्रवेश का रास्ता साफ हो सकता है, जो पहले केवल सरकारी कंपनियों तक सीमित था।
- छोटे परमाणु रिएक्टर (SMRs): सरकार अब ‘स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स’ पर ध्यान केंद्रित करेगी। ये आकार में छोटे होते हैं और इन्हें कम समय व कम लागत में स्थापित किया जा सकता है।
- कोयले का विकल्प: भारत अपनी बिजली का बड़ा हिस्सा कोयले से बनाता है। नया बिल परमाणु ऊर्जा को कोयले के स्थायी और स्वच्छ विकल्प के रूप में स्थापित करने का आधार प्रदान करता है।
- विदेशी निवेश की संभावनाएं: नए नियमों के तहत इस क्षेत्र में विदेशी तकनीक और निवेश को आकर्षित करने के लिए नियमों को सरल बनाया गया है।
- सुरक्षा मानकों में सख्ती: परमाणु संयंत्रों के संचालन के लिए सुरक्षा मानकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप और अधिक कड़ा किया गया है।
- अनुमति प्रक्रिया का सरलीकरण: परमाणु परियोजनाओं की स्थापना के लिए लगने वाले समय को कम करने हेतु ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस’ जैसी व्यवस्थाओं पर जोर दिया गया है।
- स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा: यह बिल भारत के अपने ‘थोरियम’ आधारित परमाणु कार्यक्रम को गति देने और ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती देने में सहायक होगा।
- रोजगार के नए अवसर: नए परमाणु संयंत्रों की स्थापना से इंजीनियरिंग, विनिर्माण और संचालन के क्षेत्र में हजारों नए रोजगार पैदा होंगे।
- नेट जीरो लक्ष्य 2070: भारत ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। परमाणु ऊर्जा एक ‘क्लीन एनर्जी’ है, जो इस लक्ष्य को पाने में रीढ़ की हड्डी साबित होगी।
- ऊर्जा सुरक्षा: वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए, परमाणु ऊर्जा भारत को बाहरी ईंधन (तेल और गैस) की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करेगी।
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र बेस-लोड बिजली (24×7 बिजली) प्रदान करने में सक्षम हैं, जो सौर और पवन ऊर्जा के साथ मिलकर भारत के पावर ग्रिड को स्थिरता देंगे। यह संशोधन बिल आने वाले दशकों में भारत की औद्योगिक प्रगति की गति तय करेगा।





