Monday, December 22, 2025

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भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर सहमति: अगले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य

नई दिल्ली/वेलिंगटन: भारत और न्यूजीलैंड ने अपने आर्थिक रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। दोनों देशों ने आपसी व्यापार को मौजूदा स्तर से दोगुना करने के साझा लक्ष्य के साथ इस समझौते के प्रमुख बिंदुओं पर सहमति जताई है। इस कदम से न केवल व्यापारिक बाधाएं कम होंगी, बल्कि दोनों देशों के उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए नए अवसर भी खुलेंगे।

समाचार के मुख्य बिंदु:

  • व्यापार दोगुना करने का संकल्प: वर्तमान में भारत और न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 2.5 अरब डॉलर के करीब है। नए समझौते के तहत, दोनों देशों ने आगामी वर्षों में इसे 5 अरब डॉलर तक पहुँचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
  • प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान: इस समझौते के तहत कृषि उत्पाद, डेयरी तकनीक, कीवी फल, ऊन और लकड़ी के साथ-साथ आईटी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है। न्यूजीलैंड विशेष रूप से भारत के विशाल बाजार में अपने कृषि उत्पादों की पहुंच बनाना चाहता है।
  • भारत के लिए लाभ: भारतीय निर्यातकों के लिए न्यूजीलैंड का बाजार फार्मास्यूटिकल्स, जेम्स और ज्वेलरी, टेक्सटाइल और मशीनरी के लिए अधिक सुलभ हो जाएगा। साथ ही, भारतीय पेशेवरों और छात्रों के लिए वीजा नियमों में सरलता की भी उम्मीद की जा रही है।
  • डेयरी क्षेत्र पर संवेदनशीलता: भारत ने अपने घरेलू डेयरी उद्योग के हितों की रक्षा के लिए कुछ संवेदनशील उत्पादों पर बातचीत को सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाया है। न्यूजीलैंड, जो डेयरी उत्पादों का बड़ा निर्यातक है, ने भारत की इन चिंताओं को समझते हुए तकनीकी सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की बात कही है।
  • निवेश और स्टार्टअप: दोनों देशों ने एक-दूसरे के देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देने और स्टार्टअप ईकोसिस्टम के बीच सेतु बनाने पर भी सहमति जताई है। इससे तकनीक के आदान-प्रदान और रोजगार सृजन में मदद मिलेगी।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक महत्व: यह समझौता न केवल आर्थिक है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में शांति और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देश साझा विजन रखते हैं।

विशेषज्ञों की राय: आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि न्यूजीलैंड के पास उन्नत कृषि तकनीक है और भारत के पास एक बड़ा उपभोक्ता आधार। यदि दोनों देश अपनी पूरक क्षमताओं (Complementary Strengths) का सही उपयोग करते हैं, तो यह समझौता वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक मिसाल बन सकता है।

भारत और न्यूजीलैंड के बीच यह समझौता ‘मेक इन इंडिया’ और न्यूजीलैंड की निर्यात रणनीति के बीच एक बेहतर संतुलन बनाने की कोशिश है। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों देश इस समझौते के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को कितनी तेजी से नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।

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