नई दिल्ली: टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने देश के सभी टीवी चैनलों के लिए विज्ञापन की समय सीमा को लेकर एक बार फिर सख्त रुख अख्तियार किया है। ट्राई ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी ब्रॉडकास्टर एक घंटे के कार्यक्रम के दौरान 12 मिनट से अधिक का विज्ञापन नहीं दिखा सकता है। लंबे समय से मिल रही शिकायतों और दर्शकों के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए ट्राई ने सभी चैनलों को इन नियमों का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
नियमों का मुख्य विवरण:
- 12 मिनट की समय सीमा: ट्राई के मौजूदा नियमों (Quality of Service Regulations) के अनुसार, एक घंटे (60 मिनट) के प्रसारण समय में विज्ञापन की अवधि 12 मिनट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसमें 10 मिनट के कमर्शियल विज्ञापन और 2 मिनट के चैनल के अपने स्व-प्रचार (Self-promotional) वाले प्रोमो शामिल हैं।
- दर्शकों के हितों की रक्षा: ट्राई का मानना है कि अत्यधिक विज्ञापनों के कारण दर्शकों के टीवी देखने का अनुभव खराब होता है। कई चैनल प्रति घंटे 15 से 20 मिनट तक विज्ञापन दिखा रहे थे, जिससे मूल कार्यक्रम की निरंतरता प्रभावित हो रही थी।
ट्राई के सख्त निर्देश और कार्रवाई:
- निगरानी प्रणाली: ट्राई ने स्पष्ट किया है कि वह चैनलों के प्रसारण समय की नियमित निगरानी करेगा। जो चैनल नियमों का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा और भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- ब्रॉडकास्टर्स को अल्टीमेटम: ट्राई ने सभी ब्रॉडकास्टर्स को अपनी प्रोग्रामिंग में तुरंत सुधार करने के निर्देश दिए हैं। नियामक ने कहा है कि विज्ञापनों के नाम पर दर्शकों के समय और उनके अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
क्या है विवाद की जड़? टीवी चैनल एसोसिएशन का तर्क रहा है कि विज्ञापन उनकी आय का मुख्य स्रोत हैं और समय सीमा सीमित करने से उनके राजस्व पर बुरा असर पड़ेगा। हालांकि, ट्राई ने स्पष्ट किया है कि राजस्व और व्यापार अपनी जगह है, लेकिन उपभोक्ता संरक्षण और सेवा की गुणवत्ता (Quality of Service) को ताक पर नहीं रखा जा सकता।
विशेषज्ञों की राय: मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से टीवी प्रसारण की गुणवत्ता में सुधार होगा। विज्ञापनों की भीड़ कम होने से दर्शक कार्यक्रमों से बेहतर तरीके से जुड़ पाएंगे। साथ ही, इससे ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स की ओर बढ़ रहे दर्शकों को वापस टीवी की ओर आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
ट्राई की इस सख्ती के बाद अब टीवी चैनलों को अपने विज्ञापन स्लॉट और प्रोग्रामिंग के बीच एक बेहतर संतुलन बनाना होगा। दर्शकों के लिए यह एक बड़ी राहत है, क्योंकि अब उन्हें अपने पसंदीदा शो या फिल्मों के बीच लंबे और उबाऊ विज्ञापन ब्रेक से मुक्ति मिलेगी।





