मुंबई/नई दिल्ली: महाराष्ट्र में हुए नगर निकाय और स्थानीय चुनावों के परिणामों ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर ‘महायुति’ (भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट और एनसीपी-अजित पवार गुट) का वर्चस्व स्थापित कर दिया है। मतगणना के बाद आए रुझानों और नतीजों में महायुति ने विपक्षी गठबंधन ‘महाविकास अघाड़ी’ का सूपड़ा साफ करते हुए बंपर जीत दर्ज की है। इस शानदार सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए इसे जमीनी स्तर पर हुए कार्यों की विजय बताया है।
महायुति की जीत के प्रमुख आंकड़े
चुनाव परिणामों में महायुति ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।
- नगर पालिकाओं में दबदबा: राज्य की अधिकांश नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में महायुति के उम्मीदवारों ने भारी मतों से जीत हासिल की है।
- विपक्ष का प्रदर्शन: कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार) के गठबंधन को कई गढ़ों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया: ‘मैं जमीनी स्तर पर जुड़ा हूं’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के माध्यम से महाराष्ट्र की जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाते हुए कहा:
“महाराष्ट्र निकाय चुनाव के नतीजे दर्शाते हैं कि जनता का विश्वास केवल विकास और सुशासन में है। मैं खुद को हमेशा जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से जुड़ा हुआ पाता हूँ और यह जीत उन्हीं के अथक परिश्रम का परिणाम है। महाराष्ट्र की जनता ने नकारात्मकता को नकार कर महायुति की जनहितकारी नीतियों पर अपनी मुहर लगा दी है।” — नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
जीत के मायने और राजनीतिक प्रभाव
इस जीत को आने वाले समय के लिए एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
- स्थानीय मुद्दों पर पकड़: विशेषज्ञों का मानना है कि ‘लाडकी बहिन योजना’ और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे स्थानीय मुद्दों ने महायुति के पक्ष में लहर पैदा की।
- नेतृत्व की पुष्टि: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की तिकड़ी के नेतृत्व पर जनता ने एक बार फिर भरोसा जताया है।
- कार्यकर्ताओं में उत्साह: स्थानीय निकाय चुनावों में जीत से आगामी बड़े चुनावों के लिए महायुति के जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल सातवें आसमान पर है।
विपक्षी खेमे में खलबली
हार के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर आत्ममंथन का दौर शुरू हो गया है। विपक्ष ने कुछ जगहों पर ईवीएम और प्रशासन के दुरुपयोग के आरोप लगाए हैं, हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।





