गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जिला प्रशासन और नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। शहर की सूरत बिगाड़ने और सड़कों को बाधित करने वाले अवैध निर्माणों पर नकेल कसते हुए प्रशासन ने 12,000 से अधिक लोगों को नोटिस जारी किए हैं। प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई से शहर के अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
किन क्षेत्रों पर गिरेगी गाज?
नगर निगम और विकास प्राधिकरण (GDA) ने संयुक्त सर्वे के बाद उन क्षेत्रों को चिह्नित किया है जहाँ वर्षों से फुटपाथों और सड़कों पर अवैध कब्जे थे।
- प्रमुख बाजार: राजनगर, कविनगर, साहिबाबाद और लोनी जैसे व्यस्त इलाकों में सड़कों के किनारे बनी अवैध दुकानों और छज्जों को हटाने के निर्देश दिए गए हैं।
- पब्लिक पार्क और ग्रीन बेल्ट: सार्वजनिक पार्कों और ग्रीन बेल्ट की भूमि पर किए गए अवैध निर्माणों को भी नोटिस के दायरे में रखा गया है।
नोटिस में दी गई सख्त चेतावनी
प्रशासन द्वारा भेजे गए नोटिस में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं:
- स्वयं हटाने की समय सीमा: नोटिस पाने वाले लोगों को एक निश्चित समय (3 से 7 दिन) दिया गया है ताकि वे खुद अपना अवैध निर्माण हटा लें।
- जुर्माना और वसूली: यदि तय सीमा में अतिक्रमण नहीं हटाया गया, तो प्रशासन ‘बुलडोजर’ चलाकर निर्माण ढहा देगा और इसका खर्च (ध्वस्तीकरण शुल्क) भी संबंधित व्यक्ति से वसूला जाएगा।
- कानूनी कार्रवाई: बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करने की भी चेतावनी दी गई है।
जाम की समस्या से मिलेगी निजात
गाजियाबाद प्रशासन का तर्क है कि शहर में बढ़ते ट्रैफिक जाम का सबसे बड़ा कारण सड़कों के किनारे का अतिक्रमण है।
- सुगम यातायात: अतिक्रमण हटने से सड़कों की चौड़ाई बढ़ेगी, जिससे पीक ऑवर्स के दौरान लगने वाले भीषण जाम से स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी।
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: शहर को सुंदर और व्यवस्थित बनाने के लिए चलाए जा रहे ‘स्मार्ट सिटी’ अभियान के तहत यह कार्रवाई अनिवार्य बताई जा रही है।
“हमने सभी अतिक्रमणकारियों को पर्याप्त समय दिया है। हमारा उद्देश्य शहर की व्यवस्था को सुधारना है। सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने वालों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाएगी और जल्द ही बड़े स्तर पर ध्वस्तीकरण अभियान चलाया जाएगा।” — अपर नगर आयुक्त/प्रशासनिक अधिकारी, गाजियाबाद
स्थानीय निवासियों की मिश्रित प्रतिक्रिया
जहाँ एक ओर आम जनता जाम से राहत मिलने की उम्मीद में इस फैसले का स्वागत कर रही है, वहीं दूसरी ओर व्यापारियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। व्यापार मंडल का कहना है कि प्रशासन को छोटी दुकानों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास (Rehabilitation) की व्यवस्था करनी चाहिए।





