देहरादून/नई दिल्ली: करोड़ों रुपये के रियल एस्टेट घोटाले के मुख्य आरोपी और लंबे समय से फरार चल रहे बिल्डर शाश्वत गर्ग पर अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कसने जा रहा है। निवेशकों के साथ की गई धोखाधड़ी और अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में ED ने अब मनी लांड्रिंग (PMLA) के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करने का निर्णय लिया है।
निवेशकों से करोड़ों की ठगी का है मामला
शाश्वत गर्ग पर आरोप है कि उसने लुभावने प्रोजेक्ट्स और ऊंचे रिटर्न का लालच देकर सैकड़ों मध्यमवर्गीय परिवारों और निवेशकों से करोड़ों रुपये वसूले।
- फर्जी प्रोजेक्ट्स: जांच में सामने आया कि आरोपी ने कई ऐसी जमीनें दिखाईं जिन पर निर्माण की अनुमति ही नहीं थी।
- फंड की हेराफेरी: पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह अंदेशा जताया गया है कि निवेशकों से जुटाए गए धन को बिल्डर ने अन्य निजी संपत्तियों में निवेश किया या विदेश भेज दिया।
क्यों हुई ED की एंट्री?
स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज कई प्राथमिकियों (FIRs) के आधार पर अब ED इस मामले को टेकओवर कर रही है।
- वित्तीय अनियमितता: करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं मिलने के कारण यह मामला वित्तीय अपराध की श्रेणी में आता है।
- संपत्ति कुर्क करने की तैयारी: ED की कार्रवाई शुरू होने के बाद, आरोपी और उसके सहयोगियों की चल-अचल संपत्तियों को जब्त (Attach) किया जा सकेगा।
- सिंडिकेट की जांच: एजेंसी इस बात की भी जांच करेगी कि इस ठगी के पीछे कोई बड़ा सिंडिकेट या सफेदपोश संरक्षण तो नहीं है।
लुकआउट नोटिस और गिरफ्तारी के प्रयास
शाश्वत गर्ग काफी समय से फरार है और पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
- बढ़ता दबाव: पुलिस पहले ही उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट और लुकआउट नोटिस जारी कर चुकी है ताकि वह देश छोड़कर न भाग सके।
- इनामी अपराधी: शासन द्वारा उस पर इनाम घोषित करने पर भी विचार किया जा रहा है, जिससे उसकी धरपकड़ तेज की जा सके।
“निवेशकों की पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा। मनी लांड्रिंग के साक्ष्य मिलने पर सख्त कार्रवाई की जा रही है ताकि पीड़ितों को उनका धन वापस मिल सके और दोषी को कड़ी सजा मिले।” — जांच एजेंसी सूत्र
पीड़ितों की उम्मीदें जगीं
ED की इस सक्रियता के बाद उन निवेशकों में न्याय की उम्मीद जगी है जिन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई इन प्रोजेक्ट्स में लगा दी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि ED की जांच से पैसों के लेन-देन की परतों का खुलासा होगा और यह पता चलेगा कि जनता का पैसा आखिर कहाँ खपाया गया।





