जेनेवा/गाजा सिटी: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गाजा पट्टी में जारी मानवीय संकट पर एक हृदयविदारक खुलासा किया है। संगठन के ताजा दावों के अनुसार, गाजा में उचित समय पर मेडिकल इवैक्यूएशन (चिकित्सा के लिए सुरक्षित बाहर निकालना) न मिल पाने के कारण हजारों गंभीर मरीजों और घायलों की जान चली गई है। डब्ल्यूएचओ ने इसे एक ‘मानवीय त्रासदी’ करार देते हुए कहा है कि हजारों लोग अस्पताल के बिस्तरों पर केवल इसलिए दम तोड़ रहे हैं क्योंकि उन्हें सीमा पार विशेषज्ञ उपचार के लिए जाने की अनुमति नहीं मिल रही है।
प्रमुख बिंदु: उपचार के अभाव में खत्म होती सांसें
- आंकड़ों की भयावहता: डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 12,000 से अधिक मरीजों को तत्काल विदेश में इलाज की आवश्यकता थी, लेकिन उनमें से आधे से भी कम को बाहर जाने की अनुमति मिल पाई।
- अस्पतालों की बदहाली: गाजा के भीतर अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र या तो नष्ट हो चुके हैं या ईंधन और दवाओं की कमी के कारण केवल नाममात्र के रह गए हैं। गंभीर रूप से घायल बच्चों और कैंसर के मरीजों के लिए वहां कोई उपचार उपलब्ध नहीं है।
- राफा क्रॉसिंग का बंद होना: रिपोर्ट में कहा गया है कि राफा बॉर्डर बंद होने के बाद से मेडिकल इवैक्यूएशन की प्रक्रिया लगभग ठप हो गई है, जिससे ‘डेथ वारंट’ जैसी स्थिति पैदा हो गई है।
WHO की वैश्विक समुदाय से अपील
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही ‘मेडिकल कॉरिडोर’ (चिकित्सा गलियारा) नहीं खोला गया, तो मरने वालों की संख्या युद्ध में सीधे तौर पर मारे गए लोगों से भी अधिक हो सकती है। संगठन ने मांग की है कि मरीजों को बिना किसी राजनीतिक बाधा के इलाज के लिए मिस्र, जॉर्डन या अन्य देशों में जाने की अनुमति दी जाए। वर्तमान में हजारों बच्चे ऐसे संक्रमणों और घावों से जूझ रहे हैं जिनका इलाज सामान्य परिस्थितियों में संभव था, लेकिन संसाधनों के अभाव में वे अब लाइलाज हो चुके हैं।





