Saturday, December 20, 2025

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दमघोंटू हुई दिल्ली: GRAP-IV के बावजूद 8 साल में सबसे खराब रही दिसंबर की हवा, स्मॉग की चादर में कैद राजधानी

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए लागू किए गए ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (GRAP) के चौथे चरण (GRAP-IV) का कोई ठोस असर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है। आंकड़ों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि इस वर्ष दिसंबर की हवा पिछले 8 सालों में सबसे अधिक प्रदूषित दर्ज की गई है। पाबंदियों के बावजूद दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में बना हुआ है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।

विफलता के आंकड़े: क्यों बेअसर रहे कड़े नियम?

  • रिकॉर्ड तोड़ प्रदूषण: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, इस दिसंबर में औसत AQI का स्तर 400 के पार रहा है, जो 2016 के बाद का सबसे खराब स्तर है।
  • ठंडी हवाएं और नमी: मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा की गति धीमी होने और उच्च आर्द्रता (Humidity) के कारण प्रदूषक कण (PM 2.5 और PM 10) सतह के करीब जमा हो गए हैं।
  • स्थानीय स्रोत: निर्माण कार्यों पर रोक और ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी के बावजूद, पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के अवशेष और स्थानीय स्तर पर कचरा जलने की घटनाओं ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।

स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति

राजधानी के अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में 30-40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यह हवा केवल बुजुर्गों और बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ वयस्कों के लिए भी खतरनाक है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल आपातकालीन उपायों (जैसे निर्माण पर रोक) से काम नहीं चलेगा, बल्कि प्रदूषण के मूल कारणों पर साल भर काम करने की आवश्यकता है। दिल्ली-NCR के कई इलाकों में दृश्यता इतनी कम रही कि दिन में भी वाहनों को हेडलाइट जलानी पड़ रही है।

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