नैनीताल/देहरादून: उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं का विवादों से नाता टूटता नजर नहीं आ रहा है। यूकेएसएसएससी (UKSSSC) भर्ती घोटाले की गूँज अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अब PCS-J (न्यायिक सेवा) परीक्षा का परिणाम भी कानूनी पचड़े में फंस गया है। परीक्षा परिणामों में कथित विसंगतियों को लेकर अभ्यर्थियों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिससे पूरी चयन प्रक्रिया पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं।
मामले का विवरण: 83 अभ्यर्थियों के चयन पर आपत्ति
- विवाद की जड़: हाल ही में घोषित हुए PCS-J के मुख्य परीक्षा परिणाम में कुल 83 आवेदकों को सफल घोषित किया गया था। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन और कट-ऑफ निर्धारण में नियमों की अनदेखी की गई है।
- हाईकोर्ट में दस्तक: असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित पक्षों से जवाब तलब करने की तैयारी की है।
- भर्ती का इतिहास: उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) द्वारा आयोजित इस परीक्षा के माध्यम से सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पदों को भरा जाना है, लेकिन कानूनी विवाद के कारण अब नियुक्ति प्रक्रिया में देरी होना तय है।
पारदर्शिता पर फिर खड़े हुए सवाल
उत्तराखंड के युवा पहले से ही भर्ती घोटालों और पेपर लीक के मामलों से डरे हुए हैं। ऐसे में न्यायपालिका से जुड़ी इस महत्वपूर्ण परीक्षा का विवादों में आना राज्य की चयन प्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। अभ्यर्थियों का तर्क है कि यदि शीर्ष स्तर की परीक्षाओं में भी पारदर्शिता की कमी होगी, तो मेधावी छात्रों का मनोबल पूरी तरह टूट जाएगा। अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के आगामी रुख पर टिकी हैं।





