Saturday, December 20, 2025

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केदारघाटी में हवाई सेवाओं का होगा कायाकल्प: सहस्त्रधारा की तर्ज पर बनेगा हाईटेक हेलीपोर्ट

देहरादून/रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम की यात्रा को और अधिक सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। केदारघाटी में अब देहरादून के सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट की तर्ज पर एक आधुनिक हेलीपोर्ट विकसित किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं देना है, बल्कि खराब मौसम के दौरान होने वाली हवाई दुर्घटनाओं की आशंका को भी न्यूनतम करना है।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं: सुरक्षा और तकनीक पर जोर

  • अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा: नए हेलीपोर्ट को सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा, जिसमें यात्रियों के लिए वेटिंग लाउंज और व्यवस्थित टिकटिंग काउंटर शामिल होंगे।
  • वेदर स्टेशनों की स्थापना: घाटी के सटीक मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए जगह-जगह आधुनिक ‘वेदर स्टेशन’ (मौसम केंद्र) स्थापित किए जाएंगे, जो रियल-टाइम डेटा प्रदान करेंगे।
  • विंड डायरेक्शन इंडीकेटर: पायलटों की सहायता के लिए ‘विंड डायरेक्शन इंडीकेटर’ लगाए जाएंगे, जिससे लैंडिंग और टेक-ऑफ के समय हवा की दिशा और गति का सटीक ज्ञान मिल सके।

सुरक्षा के कड़े मानक

केदारघाटी अपनी चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों और बदलते मौसम के लिए जानी जाती है। महानिदेशालय नागरिक उड्डयन (DGCA) के मानकों के अनुरूप विकसित होने वाला यह हेलीपोर्ट न केवल उड़ानों के संचालन को सुव्यवस्थित करेगा, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में भी एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करेगा। वेदर स्टेशन और विंड इंडीकेटर लगने से कोहरे और तेज हवाओं के बीच उड़ान भरने के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।

मनरेगा का नाम बदलने पर छिड़ा सियासी संग्राम: 27 दिसंबर को सड़कों पर उतरेगी कांग्रेस

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के संभावित नाम परिवर्तन को लेकर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस पार्टी ने सरकार के इस कदम के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आगामी 27 तारीख को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। मुख्य विपक्षी दल ने आरोप लगाया है कि सरकार महापुरुषों के नाम हटाकर अपनी विचारधारा थोपने का प्रयास कर रही है।

विरोध के मुख्य बिंदु: योजनाओं के भगवाकरण का आरोप

  • राष्ट्रव्यापी आंदोलन: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, 27 दिसंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यकर्ता धरना देंगे और सरकार के इस फैसले को जनविरोधी बताएंगे।
  • विरासत पर हमला: पार्टी का तर्क है कि महात्मा गांधी का नाम हटाना देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बुनियाद पर चोट करने जैसा है, क्योंकि यह योजना गांधीवादी दर्शन पर आधारित है।
  • धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा: कांग्रेस ने केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार “राम के नाम” का सहारा लेकर जनता को बांटने और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम कर रही है।

सियासी खींचतान और आगामी रणनीति

कांग्रेस महासचिवों की बैठक के बाद यह स्पष्ट किया गया कि पार्टी मनरेगा के बजट में कटौती और अब इसके नाम के साथ छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी का मानना है कि भाजपा सरकार व्यवस्थित रूप से कांग्रेस शासन के दौरान शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं की पहचान मिटाने में जुटी है। इस प्रदर्शन के जरिए कांग्रेस ग्रामीण मतदाताओं को एकजुट करने और सरकार की “विभाजनकारी राजनीति” को बेनकाब करने की योजना बना रही है।

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