दिल्ली और देहरादून के बीच यात्रा को तेज, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने वाला बहुप्रतीक्षित दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून तक लगभग 210 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे के अधिकांश हिस्सों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि कुछ हिस्सों में फिनिशिंग और सुरक्षा से जुड़े कार्य जारी हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, एक्सप्रेसवे के कई सेक्शन चरणबद्ध तरीके से जल्द ही आम लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे, जिससे दिल्ली से देहरादून का सफर करीब 6–7 घंटे से घटकर लगभग 2.5 से 3 घंटे का रह जाएगा।
हालांकि, इस बड़ी राहत के साथ एक चिंता भी सामने आ रही है। विशेषज्ञों और स्थानीय प्रशासन का मानना है कि एक्सप्रेसवे के खुलते ही देहरादून शहर में वाहनों का दबाव अचानक बढ़ सकता है। फिलहाल देहरादून की आंतरिक सड़कें, खासकर आईएसबीटी, सहारनपुर रोड, हरिद्वार रोड और राजपुर रोड जैसे प्रमुख मार्ग, पहले से ही ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में एक्सप्रेसवे से आने वाला भारी यातायात यदि सीधे शहर में प्रवेश करेगा, तो जाम की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार और प्रशासन एक्सप्रेसवे के अंतिम छोर पर ट्रैफिक मैनेजमेंट, बाईपास, रिंग रोड कनेक्टिविटी और स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम को मजबूत करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके बावजूद स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक देहरादून शहर के भीतर वैकल्पिक मार्गों, पार्किंग सुविधाओं और सार्वजनिक परिवहन को बेहतर नहीं किया जाता, तब तक एक्सप्रेसवे का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए भी विकास की बड़ी परियोजना माना जा रहा है। इससे पर्यटन, व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। वहीं, सरकार का दावा है कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस एक्सप्रेसवे में एलीवेटेड रोड, वाइल्डलाइफ कॉरिडोर और आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं भी विकसित की गई हैं।
कुल मिलाकर, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के जल्द खुलने से लंबी दूरी की यात्रा जरूर आसान होगी, लेकिन देहरादून में ट्रैफिक जाम की चुनौती अभी भी बनी रहेगी, जिस पर ठोस और दीर्घकालिक समाधान की जरूरत है।




