पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा जिले में तथाकथित ‘समाजवाद अंतरराष्ट्रीय मांझी सरकार’ की प्रतिनिधि गीता मुर्मु को गिरफ्तार किया गया है।
आरोप है कि उन्होंने आदिवासियों को यह कहकर भड़काया कि वे भारतीय कानून के अधीन नहीं हैं और उन्हें SIR फॉर्म भरने की जरूरत नहीं।
उनकी बातों में आकर कई गांवों के आदिवासियों ने फॉर्म भरने से इनकार कर दिया था। बाद में प्रशासन की समझाइश के बाद अधिकांश लोगों ने फॉर्म भर दिए, लेकिन मामले को गंभीर मानते हुए पुलिस ने गीता मुर्मु को गिरफ्तार कर लिया।
नोटबंदी से माओवादियों की रीढ़ टूटी, आर्थिक नेटवर्क बिखरा
2016 की नोटबंदी ने माओवादी संगठनों की आर्थिक कमर तोड़ दी। समर्पण करने वाले माओवादियों ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया कि नोटबंदी के बाद उनकी वित्तीय स्थिति कभी संभल नहीं पाई।
जबर्दस्ती वसूली, ठेकेदारों से उगाही और नकदी नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
2023 में 2000 रुपये के नोट वापस लेने से माओवादियों को दूसरी बड़ी चोट लगी। बालाघाट में समर्पण करने वाले माओवादियों से कोई नकदी बरामद नहीं हुई, जिससे उनके आर्थिक संकट की पुष्टि होती है।




