अमेरिका में H1-B वीज़ा शुल्क बढ़ाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ 20 अमेरिकी राज्य ने संयुक्त रूप से अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इन राज्यों का दावा है कि वीज़ा शुल्क बढ़ाने का कदम नौकरी चाहने वालों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
अधिकारियों के अनुसार, राज्यों ने यह कदम उठाया है क्योंकि H1-B वीज़ा के तहत कई विदेशी पेशेवर तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। शुल्क बढ़ने से कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा और विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करने में कठिनाई आएगी।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत में यह मामला न केवल H1-B वीज़ा शुल्क के बढ़ाव तक सीमित रहेगा, बल्कि अमेरिका में विदेशी पेशेवरों की भर्ती प्रक्रिया और रोजगार नीतियों पर भी असर डाल सकता है।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि वीज़ा शुल्क बढ़ाने का उद्देश्य अमेरिकी श्रमिकों के हित में विदेशी पेशेवरों की संख्या को संतुलित करना है। हालांकि, विपक्षी राज्य इसे अवैध और असंवैधानिक मान रहे हैं।
इस मुकदमे के नतीजे से अमेरिका में H1-B वीज़ा पॉलिसी की दिशा तय होगी और अंतरराष्ट्रीय पेशेवरों के लिए देश में काम करने के अवसरों पर सीधा असर पड़ेगा।





