सरकार ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) में बड़ा बदलाव करते हुए इसे अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ के नाम से लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में कामगारों को पहले निर्धारित 100 दिन की बजाय 125 दिन तक रोजगार का अधिकार मिलेगा।
कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बताया कि इस कदम का उद्देश्य ग्रामीण रोजगार के अवसर बढ़ाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। योजना का नया स्वरूप गरीब परिवारों को लंबे समय तक स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
मंत्रालय ने कहा कि रोजगार की अवधि बढ़ने से न केवल ग्रामीणों की आमदनी में इजाफा होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर निर्माण, सड़क, जल संरक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे काम भी तेजी से पूरे होंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनस्तर सुधारने में मदद मिलेगी।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि योजना का नाम बदलने और काम के दिनों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निगरानी को और मजबूत किया जाएगा। योजना के तहत श्रमिकों को मजदूरी समय पर और निर्धारित दर पर दी जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है और इससे देश के दूरदराज़ के गांवों में सकारात्मक बदलाव आएंगे।





