Sunday, December 21, 2025

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नेपाल को खोखला कर रहा ड्रैगन?

नेपाल में पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से जुड़ा कथित घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। इस विवाद में अब चौंकाने वाले राजनीतिक और आर्थिक संबंध सामने आ रहे हैं, जिससे यह सवाल और गहरा हो गया है कि क्या पड़ोसी देश चीन—जिसे नेपाल में बढ़ते प्रभाव के कारण ‘ड्रैगन’ कहा जाता है—धीरे-धीरे नेपाल की संस्थाओं और परियोजनाओं को कमजोर कर रहा है। हाल में हुई प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि इस परियोजना में अनियमितताओं और आर्थिक अपव्यय में सिर्फ विदेशी कंपनियाँ ही नहीं, बल्कि नेपाल के “अपने” लोग भी शामिल पाए गए हैं।

नेपाल सरकार ने पोखरा एयरपोर्ट परियोजना की लागत, निर्माण गुणवत्ता और फंड की पारदर्शिता से जुड़े आरोपों की गंभीरता को देखते हुए आधिकारिक जांच शुरू कर दी है। यह एयरपोर्ट नेपाल के सबसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक माना गया था, जिसे चीनी ऋण और तकनीकी सहयोग से बनाया गया। लेकिन अब आरोप है कि परियोजना की लागत जानबूझकर बढ़ाई गई, अनुबंधों में गड़बड़ी की गई और कई महत्वपूर्ण निर्णय बिना प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के लिए गए।

सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियों ने कुछ नेपाली अधिकारियों और स्थानीय नेताओं पर संदेह जताया है, जिन पर चीनी कंपनियों के साथ मिलीभगत कर अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप है। दस्तावेजों की प्रारंभिक पड़ताल में कई खर्चों और भुगतान का औचित्य साबित नहीं किया जा सका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आरोप सही पाए गए, तो यह मामला नेपाल में विदेशी प्रभाव और स्थानीय भ्रष्टाचार की मिली-जुली सबसे बड़ी घटनाओं में से एक बन सकता है।

विपक्षी दलों ने इसे नेपाल की संप्रभुता और आर्थिक स्थिरता से जुड़ा बड़ा मुद्दा बताया है। उनका आरोप है कि चीन की बढ़ती आर्थिक पकड़ ने नेपाल को ऋण के जाल में धकेल दिया है, और पोखरा एयरपोर्ट इसका ताजा उदाहरण है। विपक्ष का दावा है कि परियोजना न केवल आर्थिक रूप से अव्यवहारिक साबित हो रही है, बल्कि इसके नाम पर स्थानीय राजनीतिक समूहों ने निजी लाभ भी हासिल किए।

सरकारी अधिकारियों ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी अधिकारी, नेता या विदेशी कंपनी की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का मानना है कि ऐसे मामलों का खुलासा नेपाल के विकास कार्यों में लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए आवश्यक है।

इस बीच, आर्थिक विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस मामले का प्रभाव नेपाल की अन्य अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं और विदेशी निवेश पर भी पड़ सकता है। उनका कहना है कि देश को विकास के लिए विदेशी निवेश की जरूरत है, लेकिन पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना किसी भी बाहरी सहयोग का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाएगा।

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