महाराष्ट्र में चुनावी माहौल के बीच पहले चरण के मतदान के दौरान दिखी भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच खींचतान अब कम होती दिख रही है। पिछले कुछ दिनों से गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और प्रचार रणनीति को लेकर उठे मतभेदों ने राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज कर दी थीं। हालांकि, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की हालिया बैठक के बाद संकेत मिल रहे हैं कि दोनों दल अब एक बार फिर साथ-साथ चुनावी मैदान में मजबूती से उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में दोनों नेताओं ने पहले चरण में सामने आए समन्वय की कमी और स्थानीय स्तर पर हुए विवादों पर विस्तृत चर्चा की। माना जा रहा है कि फडणवीस और शिंदे ने स्पष्ट संदेश दिया है कि गठबंधन की जीत ही प्राथमिकता है और किसी भी तरह की अंदरूनी खींचतान का नुकसान दोनों दलों को झेलना पड़ सकता है। बैठक के बाद दोनों नेताओं के बीच की दूरी कम होती दिखाई दी और संयुक्त रणनीति पर सहमति भी बनती नजर आई।
बैठक के बाद पार्टी सूत्रों ने बताया कि आगामी चरणों के मतदान में प्रचार अभियानों को बेहतर तालमेल के साथ चलाने पर जोर दिया जाएगा। भाजपा और शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं की संयुक्त रैलियों की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि कार्यकर्ताओं को भी स्पष्ट संदेश मिले कि गठबंधन में किसी तरह की दरार नहीं है। इसके अलावा सीटों पर स्थानीय स्तर पर चल रहे असंतोष को भी दूर करने की रणनीति तैयार की गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले चरण की खींचतान ने गठबंधन की छवि को कुछ हद तक प्रभावित किया था, लेकिन शीर्ष नेतृत्व की बैठक के बाद अब माहौल बदलने की संभावना है। फडणवीस और शिंदे दोनों ने यह संकेत दे दिया है कि चुनाव किसी भी तरह के मतभेद से ऊपर है और आगामी चरणों में वे एकजुट होकर मुकाबला करेंगे।
हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में जमीनी स्तर पर यह समन्वय कितना मजबूत होता है और क्या यह गठबंधन मतदाताओं को भरोसा दिलाने में सफल हो पाता है। फिलहाल, बैठक के बाद के संकेतों से यह साफ है कि भाजपा और शिवसेना ने पहले चरण की खींचतान को पीछे छोड़कर चुनावी लड़ाई को एक नई शुरुआत देने का प्रयास किया है।





