कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हालिया बयान ने बंगाल की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। बंगाल चुनावों को लेकर दिए गए उनके वक्तव्य के बाद राष्ट्रीय राजनीति में भी गर्माहट बढ़ गई है। प्रियंका के बयान पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं, जिसके चलते दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाज़ी तेज हो गई है।
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर किया जा रहा है और चुनावी माहौल निष्पक्ष नहीं रहने दिया जा रहा। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार की भूमिका भी कई मामलों में सवालों के घेरे में है। उनके इसी बयान को भाजपा ने कठोर शब्दों में खारिज किया और इसे विपक्ष की निराधार राजनीति का हिस्सा बताया।
गृहमंत्री अमित शाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रियंका गांधी का आरोप पूरी तरह झूठ और तथ्यों से परे है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है और केंद्र सरकार किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करती। शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि हार की आशंका से परेशान विपक्ष पहले से ही बहाने गढ़ रहा है।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमित शाह पर पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार विपक्ष के नेताओं की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा लोकतंत्र की बात करती है लेकिन चुनावी राज्य में प्रशासनिक दबाव का इस्तेमाल कर रही है। खरगे ने यह भी कहा कि प्रियंका की बातों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वे वास्तव में लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती की बात कर रही थीं।
दोनों दलों के बीच यह राजनीतिक टकराव बंगाल चुनाव को और अधिक संवेदनशील बना रहा है। जानकारों का कहना है कि प्रियंका के बयान और उसके बाद सामने आई प्रतिक्रियाओं से यह साफ है कि आगामी चुनाव केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की दिशा पर भी प्रभाव डालेंगे। इसके साथ ही चुनावी माहौल में बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप के और तेज होने की संभावना जताई जा रही है।





