विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और शांति बनाए रखने के लिए भारत और जापान की भूमिका बेहद निर्णायक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच दोनों देशों की साझेदारी न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। जयशंकर के इस बयान को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत-जापान संबंधों की बढ़ती अहमियत के रूप में देखा जा रहा है।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र वर्तमान समय में वैश्विक राजनीति का केंद्र बन चुका है, जहां कई देशों के सामरिक हित जुड़ते हैं। ऐसे में भारत और जापान दोनों ही साझा मूल्यों, लोकतांत्रिक परंपराओं और नियम-आधारित व्यवस्था के समर्थन के कारण स्वाभाविक साझेदार के रूप में उभरते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह साझेदारी केवल सामरिक रणनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक, तकनीकी और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में भी इसका असर दिखाई देता है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत-जापान सहयोग क्षेत्र में शांति और स्थिरता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने बताया कि समुद्री सुरक्षा, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने जैसे मुद्दों पर दोनों देश सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव पूरे वैश्विक आर्थिक ढांचे को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आवश्यक है कि भारत और जापान मिलकर एक सहयोगी और सुरक्षित वातावरण बनाने में अपनी भूमिका निभाएं।
विदेश मंत्री के इस बयान को कूटनीति विशेषज्ञों ने भी महत्वपूर्ण बताया है। उनका मानना है कि भारत-जापान संबंध आने वाले वर्षों में और मजबूत होंगे, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और संतुलन बनाए रखने के प्रयासों को नई दिशा मिलेगी।





