Wednesday, December 24, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

पुतिन की भारत यात्रा के बाद ट्रंप प्रशासन का बड़ा कदम

मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसला लेते हुए अमेरिका आने वाले विदेशी नागरिकों पर नए वीज़ा प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। यह प्रतिबंध मुख्य रूप से उन पेशेवरों को प्रभावित करेगा, जो फैक्ट-चेकिंग, कंटेंट मॉडरेशन, ट्रस्ट एंड सेफ्टी, कंप्लायंस और ऑनलाइन सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में काम कर चुके हैं।

यह जानकारी विदेश विभाग के एक इंटरनल मेमो के हवाले से रॉयटर्स ने दी है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी दूतावासों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे किसी भी आवेदक को वीजा न दें, जो अमेरिका में “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित या सेंसर करने” की कोशिश में शामिल रहा हो।

 

H-1BApplicants पर सबसे बड़ा प्रभाव

हालांकि यह गाइडलाइन पत्रकारों और टूरिस्ट सहित सभी वीज़ा कैटेगरी पर लागू होती है, लेकिन इसका सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव H-1B वीज़ा आवेदकों पर पड़ेगा। H-1B वह वीज़ा है जिसके माध्यम से बड़ी संख्या में भारतीय टेक प्रोफेशनल हर वर्ष अमेरिका में नौकरी पाते हैं।

नए नियमों के तहत—

  • कांसुलर अधिकारी आवेदकों की प्रोफेशनल हिस्ट्री,
  • LinkedIn प्रोफाइल,
  • तथा सार्वजनिक सोशल मीडिया पोस्ट

का विस्तृत परीक्षण करेंगे।
यदि किसी व्यक्ति की भूमिका कंटेंट हटाने, तथ्य-जांच, ऑनलाइन जोखिम कम करने या डिजिटल प्लेटफॉर्म की सुरक्षा बनाए रखने से जुड़ी पाई जाती है, तो उसे एंट्री के लिए अयोग्य माना जा सकता है।

 

कौन-कौन आ सकते हैं निशाने पर?

रॉयटर्स की रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि यह नीति उन सभी प्रोफेशनल्स पर लागू हो सकती है, जो—

  • गलत सूचना से मुकाबला करने,
  • बच्चों के ऑनलाइन शोषण से संबंधित सामग्री हटाने,
  • यहूदी विरोधी या घृणास्पद कंटेंट की मॉनिटरिंग,
  • या सोशल मीडिया पर हानिकारक सामग्री रोकने

जैसे जिम्मेदार पदों पर काम कर चुके हैं।

इस कारण भारत, फिलीपींस और यूरोप जैसे देशों के Trust & Safety, Content Review, Policy, और Compliance टीमों में काम करने वाले हजारों लोग वीज़ा पाने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं।

 

अमेरिकी प्रशासन का तर्क: “फ्री स्पीच की रक्षा”

ट्रंप प्रशासन ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उठाया गया कदम बताया है।
मेमो में यह तक कहा गया है कि 6 जनवरी 2021 के कैपिटल हिल दंगे के बाद सोशल मीडिया से ट्रंप के अकाउंट हटाए जाने का उदाहरण इस नीति की पृष्ठभूमि में शामिल है।

व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “अमेरिका उन लोगों को प्रवेश नहीं दे सकता जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप को बढ़ावा देते हैं।”

 

भारतीय आवेदकों पर कैसा असर पड़ेगा?

भारत दुनिया में सबसे बड़े टेक टैलेंट पूल में से एक है। यहां—

  • फैक्ट-चेकिंग,
  • कंटेंट मॉडरेशन,
  • ट्रस्ट एंड सेफ्टी,
  • सोशल मीडिया ऑपरेशंस

जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा काम कर रहे हैं।
विशेष रूप से बंगलुरु, हैदराबाद, गुड़गांव और नोएडा में कई ग्लोबल टेक कंपनियों के Moderation और Online Safety सेंटर मौजूद हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • H-1B वीजा आवेदकों की संख्या में कमी आ सकती है,
  • कंपनियों को अमेरिका भेजने से पहले प्रोफाइल की जांच और कड़ी करनी पड़ेगी,
  • कई भारतीय प्रोफेशनल्स वैकल्पिक देशों—कनाडा, ब्रिटेन या यूरोप—की तरफ रुख कर सकते हैं।

 

क्या नीति में और स्पष्टीकरण आएगा?

इस फैसले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस शुरू हो गई है।
कई डिजिटल राइट्स संगठनों ने चिंता जताई है कि—

  • यह नीति गलत सूचना से मुकाबला करने वाले लोगों को सजा दे सकती है,
  • चाइल्ड सेफ्टी जैसे संवेदनशील कार्यों में लगे पेशेवरों का रास्ता अवरुद्ध हो सकता है,
  • और इसका सीधा असर वैश्विक ऑनलाइन सुरक्षा पर पड़ सकता है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि आने वाले दिनों में इस नीति पर और दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं।

Popular Articles