Sunday, December 21, 2025

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रात्रिभोज में पुतिन को परोसे गए ये खास व्यंजन!

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा जहां कूटनीतिक उपलब्धियों के लिए याद रखा जाएगा, वहीं राष्ट्रपति भवन में उनके सम्मान में आयोजित भव्य रात्रिभोज ने भी विशेष ध्यान आकर्षित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा दिए गए इस राज्य भोज में भारत की विविधता, स्वाद और पारंपरिक समृद्धि को एक थाली में सजाकर प्रस्तुत किया गया। इस खास शाम का केंद्रबिंदु रहा भारत के अलग-अलग राज्यों के ऐसे विशेष व्यंजन, जिन्होंने न केवल भारतीय स्वाद का परिचय दिया, बल्कि देश की खानपान संस्कृति की कहानी भी बयां की।

रात के मेन्यू में सबसे प्रमुख था गुच्छी दून चेटिन, जो हिमालयी क्षेत्र का दुर्लभ और महंगा व्यंजन माना जाता है। गुच्छी मशरूम जिसे ‘कश्मीरी खजाना’ भी कहा जाता है अपनी सुगंध और अनोखे स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। इसे अखरोट की पारंपरिक कश्मीरी चटनी के साथ भरवां रूप में परोसा गया। यह पकवान पहाड़ी कारीगरी, प्राकृतिक स्वाद और कश्मीर की पाक परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इसके बाद स्वाद के सफर को आगे बढ़ाता है अचारी बैंगन, जो उत्तर भारत के पारंपरिक अचार मसालों की महक लिए हुए एक खास व्यंजन है। इसमें बैंगन को अचार के मसालों में पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद तीखा, खट्टा और बेहद सुगंधित बन जाता है। यह व्यंजन पुतिन की थाली में भारतीय देसी मसालों की गहराई का परिचय था।

भोज में येलो दाल तड़का भी शामिल रही एक ऐसा व्यंजन जो भारतीय गृह रसोई का आधार माना जाता है। प्याज, लहसुन और देसी घी के तड़के ने इस दाल को बिल्कुल घरेलू, सुकून भरा स्वाद दिया, जो भारतीय भोजन की आत्मा को दर्शाता है।

इसके साथ परोसा गया खुशबूदार सूखे मेवे और केसर से बना पुलाव, जिसने भोजन में शाही स्वाद का स्पर्श जोड़ा। राजसी किचन की याद दिलाता यह पुलाव रंग, सुगंध और स्वाद तीनों में ही बेमिसाल था।

रोटी के रूप में लच्छा परांठा और मगज नान परोसे गए, जिनकी परतदार बनावट और नरमी भारतीय तंदूरी कला का सुंदर उदाहरण है।

डेज़र्ट यानी मिठाई में भी भारत की विविधता झलकती रही। पूर्वी भारत से आया गुड़ संदेश, दक्षिण भारत से मुरुक्कू, और उत्तरी स्वाद को दर्शाता गर्म बादाम का हलवा, विशेषकर दिल्ली की ठंड को देखते हुए परोसा गया। बादाम का हलवा न केवल स्वादिष्ट बल्कि स्वास्थ्यवर्धक और सर्द मौसम में बिल्कुल उपयुक्त माना जाता है।

यह पूरा भोज भारतीय खानपान की विविधता का एक जीवंत प्रदर्शन था कश्मीर से बंगाल तक, उत्तर से दक्षिण तक, मसालों की खुशबू से लेकर मिठाइयों की मिठास तक। पुतिन के लिए परोसा हर व्यंजन भारत और रूस के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों का स्वादिष्ट प्रतीक बन गया।

रात्रिभोज के इस आयोजन ने साबित किया कि राजनयिक रिश्ते केवल दस्तावेज़ों और समझौतों से नहीं, बल्कि संस्कृति, भोजन और आपसी सद्भाव से भी मजबूत होते हैं।

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