उत्तराखंड में जंगल की आग की बढ़ती घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। प्रदेश की पर्वतीय और वन क्षेत्रों में लगातार बढ़ रहे आग के मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने विशेषज्ञों की राय मांगी है, ताकि प्रभावी रणनीति तैयार की जा सके। अदालत ने स्पष्ट किया कि जंगल की आग केवल पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि जनजीवन, जैवविविधता और पर्यटन के लिए भी बड़ा खतरा बन चुकी है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार से अब तक उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी भी मांगी। कोर्ट ने कहा कि आग की रोकथाम, निगरानी, शुरुआती चेतावनी प्रणालियों, वन विभाग की उपलब्ध संसाधन क्षमता और आपदा प्रबंधन के बीच समन्वय की वास्तविक स्थिति को जानना आवश्यक है। इसके लिए अदालत ने पर्यावरण, वन संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े विशेषज्ञों से दिशा-निर्देश प्रस्तुत करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई 10 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है। अगली कार्यवाही में विशेषज्ञों की रिपोर्ट, सरकार का विस्तृत जवाब और भविष्य की कार्ययोजना पर चर्चा होने की संभावना है। अदालत ने निर्देश दिया कि राज्य इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए जंगल की आग रोकने के लिए ठोस, वैज्ञानिक और समयबद्ध कदम उठाए।





