अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी और एच-4 वीजा प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा बदलाव लागू किया है। नए नियमों के तहत अब सभी आवेदकों की सोशल मीडिया प्रोफाइल की अनिवार्य जांच की जाएगी। प्रशासन का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और वीजा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सरकारी अधिसूचना के अनुसार, आवेदकों को अब वीजा आवेदन फॉर्म में अपनी सोशल मीडिया आईडी, उपयोग किए गए प्लेटफॉर्म और पिछले पांच वर्षों की ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़ी जानकारी देनी होगी। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच से आवेदकों की पहचान, पृष्ठभूमि और संभावित सुरक्षा जोखिमों का बेहतर मूल्यांकन किया जा सकेगा।
विशेषज्ञों का मत है कि इस नियम से खासकर एच-1बी और एच-4 वीजा पाने की इच्छा रखने वाले भारतीय पेशेवरों पर असर पड़ सकता है। आईटी, इंजीनियरिंग और रिसर्च क्षेत्रों के कई युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, ऐसे में उनकी ऑनलाइन गतिविधियों का विस्तृत विश्लेषण वीजा मंजूरी की प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है।
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि यह नीति किसी विशेष देश या समुदाय को लक्ष्य बनाकर नहीं बनाई गई है। उनका कहना है कि यह कदम पूरी वीजा प्रणाली को मजबूत करने के लिए जरूरी है और इससे गलत सूचना देने वाले या फर्जी पहचान का इस्तेमाल करने वाले आवेदकों को रोकने में मदद मिलेगी।
नए नियमों ने वीजा आवेदकों के बीच चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि सोशल मीडिया गतिविधियों को लेकर किसी भी अस्पष्टता या गलतफहमी से आवेदन खारिज होने का खतरा बढ़ सकता है। इमिग्रेशन विशेषज्ञों का कहना है कि आवेदकों को अब अधिक सतर्क रहना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि उनकी ऑनलाइन उपस्थिति पारदर्शी और तथ्यात्मक हो।
ट्रंप प्रशासन के इस निर्णय ने एक बार फिर अमेरिकी वीजा नीति को लेकर वैश्विक बहस छेड़ दी है, विशेषकर उन देशों में जहाँ बड़ी संख्या में पेशेवर हर साल एच-1बी और एच-4 वीजा के लिए आवेदन करते हैं।





