इंडो-रूस बिजनेस फोरम के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और रूस के बीच दशकों पुराने संबंधों को नई ऊर्जा देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच “भरोसा ही हमारी साझेदारी की सबसे बड़ी ताकत है।” उन्होंने कहा कि भारत-रूस संबंध समय, परिस्थितियों और वैश्विक बदलावों की कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं और यही विश्वास भविष्य के सहयोग को और मजबूत आधार प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच निरंतर संवाद और सहयोग यह दर्शाता है कि भारत और रूस एक-दूसरे पर केवल रणनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे की चिंताओं को समझा और समर्थन किया है।
बिजनेस फोरम के दौरान पीएम मोदी ने दोनों देशों के उद्योग जगत को अधिक निवेश, तकनीकी साझेदारी और नवाचार आधारित सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा उत्पादन, शिक्षा, स्टार्टअप्स और डिजिटल टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के असंख्य अवसर मौजूद हैं, जिन्हें भुनाने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत का लक्ष्य केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि वह ऐसी मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां बनाना चाहता है, जो वैश्विक स्थिरता और मानवता के समग्र कल्याण में योगदान दें। मोदी ने भरोसा जताया कि भारत-रूस के व्यापारिक एवं निवेश संबंध आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयों को छुएंगे।
फोरम में प्रधानमंत्री के संबोधन ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि भारत और रूस के बीच दशकों से चले आ रहे मजबूत रिश्तों की नींव भरोसे, सम्मान और पारस्परिक हितों पर टिकी है—और यही विश्वास दोनों देशों को भविष्य की चुनौतियों का सामना साथ मिलकर करने की क्षमता प्रदान करता है।





