बांग्लादेश की राजनीतिक हलचल के बीच एक बड़ा विकास सामने आया है। देश की अंतरिम यूनुस सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। इस कार्रवाई ने बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है और दोनों पक्षों के समर्थकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सजीब वाजेद पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, सत्ता का दुरुपयोग और शासकीय संस्थाओं पर प्रभाव डालने जैसे आरोप लगाए गए हैं। अंतरिम सरकार का दावा है कि उनके पास कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और गवाह मौजूद हैं, जो इन आरोपों को बल देते हैं। बताया जा रहा है कि वाजेद के खिलाफ दर्ज कई मामलों की जांच पहले से जारी थी, जिनमें से कुछ में निर्णायक साक्ष्य मिलने के बाद यह बड़ा कदम उठाया गया।
उधर, शेख हसीना के समर्थकों ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि यूनुस सरकार विपक्ष को कमजोर करने और सत्ता समीकरणों को बदलने के लिए ऐसे कदम उठा रही है। कई विश्लेषक भी मानते हैं कि यह फैसला बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक खींचतान को और तीखा कर सकता है।
सजीब वाजेद, जो डिजिटल बांग्लादेश अभियान के प्रमुख चेहरों में से रहे हैं, लंबे समय से देश से बाहर रह रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद वे अगला कदम क्या उठाते हैं। क्या वे कानूनी प्रक्रिया का सामना करेंगे या अंतरराष्ट्रीय मंचों का सहारा लेंगे—यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो सकेगा।
इस बीच, अंतरिम सरकार ने संकेत दिया है कि भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से जुड़े मामलों में वे किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी महीनों में बांग्लादेश की राजनीति और भी ज्यादा अस्थिर हो सकती है, क्योंकि कई और बड़े नाम जांच के दायरे में आ सकते हैं।
कुल मिलाकर, सजीब वाजेद के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट ने बांग्लादेश के राजनीतिक माहौल में खलबली मचा दी है और यह मामला आने वाले दिनों में क्षेत्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकता है।





